गुरुवार, 2 जून 2011

अखण्ड ज्योति जुलाईं 1971

1. सच्चे सौन्दर्य की शोध और साक्षात्कार

2. अहंकार की असुरता पर देवत्व की विजय

3. सर्व शक्तिमान परमेश्वर और उसका सान्निध्य

4. तन्मे मनः शिव संकल्पमस्तु

5. सृष्टि के अन्दर सृष्टि और अनन्त सृष्टि श्रंखला

6. दिमागी जादूगर अथवा जादूगर दिमाग

7. सः आत्मज्ञानी सः ब्रह्मवेत्ता

8. जीवन का कुछ उद्देश्य भी तो हो

9. सूक्ष्म शरीर की सत्ता और उसकी महान् महत्ता

10. पत्थर बोलते हैं, टीले गुर्राते हैं

11. मृत्यु जीवन का अन्त नहीं

12. शरीर की प्यास-आत्मा का अभ्यास

13. मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता आप हैं

14. चेतना उर्ध्वगामी बने, जड़ नहीं

15. भावनाओं में अभिव्यक्त विश्वात्मा

16. 71 वर्ष तक सोया नहीं

17. धुआँ क्या धरती को नष्ट करके छोड़ेगा

18. प्रगति के लिए अदम्य आकांक्षा आवश्यक

19. विद्यावान जयते कामः

20. शरीर सात लोको की शोभा नगरी

21. जीवन के रहस्य-जीवन की विचित्रताये

22. एक और विकासवाद-सत्य पर अदृश्य

23. स्वार्थ और परमार्थ का अन्तर

24. जीत वहीं हैं जहाँ धर्म हैं

25. अन्ध-विश्वास जो विज्ञान बन रहा हैं और विज्ञान अन्ध-विश्वास

26. शाकाहार बनाम मांसाहार

27. डाकिया आया और एक पत्र क्रेव निहारिका से लाया

28. पहाड़ से सोना बरसता हैं और सोने से शैतान

29. अपनो से अपनी बात


30. भगवान बुद्ध भारत में क्यों जन्में

कोई टिप्पणी नहीं:

LinkWithin

Blog Widget by LinkWithin