गुरुवार, 2 जून 2011

अखण्ड ज्योति फरवरी 1970

1. व्यक्ति-व्यक्ति जीवन सुन्दर बनाने में सहायता करे

2. सुख-दुःख में एक समान

3. अति सूक्ष्म जीवाणुओं की महत्तम सत्ता

4. लघुत्तम से महत्तम-महत्तम से विराट्तम

5. ज्ञानार्जन के स्त्रोत सूखे कि मृत्यु हुई

6. विज्ञान की अपूर्णतायें और उनका विकल्प

7. गृहस्थ का अधिकार

8. जाबालि का ब्रह्म दर्शन

9. अध्यात्म-मानवीय प्रगति का आधार

10. चालीस इन्च की पत्नी चार इन्ची पति

11. वंश, कुल, गौत्र

12. जीवन क्रियाशील और उर्ध्वगामी बने

13. विज्ञान और यंत्रीकरण कितने पीड़ाजनक

14. मद्यपान महामारी और महायुद्ध से भी अधिक भयंकर

15. उर्ध्वगामी मन की सामर्थ्य

16. अपनी मान्यताओं के प्रति आस्थावान रहे

17. बदलती परिस्थितियों में स्वयं भी बदले

18. बच्चे यों न बढ़ाइये कि उन्हें पालते-पालते मर जाइये

19. चन्द्रगुप्त जीता, पर जब तब उतावलापन मिटा

20. संगठित जातिया चट्टानवत् दृढ़ हो जाती हैं

21. साधु का शाप यों फलित हुआ

22. हम असत्य का आश्रय न लें

23. मानव जीवन का प्रादुर्भाव और 84 लाख योनिया

24. स्वप्न कभी-कभी सत्य क्यों होते हैं

25. जीवन को उत्तमता की ओर बढ़ाइये

26. गायत्री उपासना से ब्रह्मवर्चस की प्राप्ति

27. अपनो से अपनी बात

28. जलो और जग को उजाला जुटाओ

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