गुरुवार, 2 जून 2011

अखण्ड ज्योति अगस्त 1969

1. निकृष्टता नहीं, उत्कृष्टता ही हमें प्रभावित कर सके

2. प्रयोजन अति महान्, आरम्भ अति सरल

3. विचार क्रान्ति की दिशा में एक अति महत्वपूर्ण चरण

4. अपनी श्रद्धा को उर्वर एवं सार्थक बनने दे

5. दो छोटे कदम जो हमें बढ़ाने ही चाहिए

6. कर्मठता की चुनौति और समर्थता की खोज

7. आस्तिकता बढ़े तो देवत्व विकसित हो सके

8. प्रबुद्ध परिजनों का संगठन और जन्म दिवसोत्सव प्रक्रिया

9. धर्म मंच और शिक्षण का समन्वय

10. हमारी नसों में उष्णता उत्पन्न होकर रहेगी

11. युग परिवर्तन के छोटे किन्तु महान् शस्त्रागार

12. युग निमार्ण अभियान का महान् सत्साहित्य

13. विवाहों के आदर्श ऊँचे रखे जाय

14. खर्चीली शादियां हमें बेईमान और दरिद्र बनाती हैं

15. पतिव्रत ही नहीं पत्नीव्रत भी निभाया जाय

16. शाक हमारी खाद्य समस्या का हल करेंगे

17. मृतक भोज भी अविवेकपूर्ण न हो

18. तमाखू का दुर्व्यसन छोड़ा ही जाना चाहिए

19. धर्म तंत्र को प्रगतिशील बनने दिया जाय

20. मांस मनुष्यता को त्याग कर ही खाया जाता हैं

21. लो जल उठी, मशाल क्रान्ति की

कोई टिप्पणी नहीं:

LinkWithin

Blog Widget by LinkWithin