गुरुवार, 2 जून 2011

अखण्ड ज्योति नवम्बर 1970

1. दुःख की निवृति ज्ञान से ही सम्भव

2. प्रेम जगत का सार और कुछ सार नहीं

3. प्रेम की आस, प्रेम की प्यास, पशु-पक्षियों के भी पास

4. यह रही सच्ची भावना की शक्ति-सामर्थ्य

5. अपूर्णता से पूर्णता की ओर

6. विभूतियाँ कुपात्र को नहीं सुपात्र को

7. हम आसुरी वृत्तियों को नहीं देव वृत्तियों को अपनाये

8. पवित्रीकरण-प्रकृति की आद्य प्रक्रिया

9. आत्मा-शरीर नही, शाश्वत और स्वतन्त्र द्रव्य

10. जितना सूक्ष्म स्वत्व, उतना अधिक महत्व

11. शरीर का मूल्य केवल सत्ताइस रूपये ?

12. जिज्ञासा और धैर्य में आत्म-ज्ञान की पात्रता सन्निहित

13. आत्म सुधार-विश्व कल्याण का सबसे सरल मार्ग

14. खेती करिए हवा में, मन भावे सो खाइये

15. वर्तमान की मुट्ठी में भूत और भविष्य दर्शन

16. अचेतन कुछ भी नहीं, जड़ भी चेतन

17. आत्म-चेतना की विलक्षण आकृतियाँ-प्रकृतियाँ

18. जर्रा जर्रा बोल रहा हैं-जियो और जीने दो

19. सत्य को सर्वोपरि मानने वाला सत्यकाम

20. निरहंकारी ही पापो से बच सकता हैं ?

21. वैज्ञानिक कसौटी पर फेल-आधुनिक फैशन

22. संयुक्त राष्ट संघ संयुक्त गृह राज्य की ओर

23. एक भाई की खोज

24. चक्कर, चैरासी लाख योनियों का

25. हृदय-परिवर्तन

26. काम वासना का अधिकतम 1/23 वाँ हिस्सा

27. इस वर्ष के गायत्री यज्ञों एवं युग निर्माण सम्मेलनों के कार्यक्रम

28. अपनो से अपनी बात

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