गुरुवार, 30 जून 2011

इस युग को बदलेंगे कौन

1) ऋण लेने का स्वभाव दरिद्रता को निमन्त्रण देता है।
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2) ऋषि अर्थात् वे जिनका निर्वाह न्यूनतम मे चलता हों और बची हुयी सामर्थ्य सम्पदा को ऐसे कामों में नियोजित किये रहते हों, जो समय की आवश्यकता पूरी करे।
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3) क्षण-क्षण से विद्या व कण-कण से अर्थ एकत्रित करना चाहिये।
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4) क्षमा करने वाले की आत्मा पवित्र होती है।
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5) द्वेष करने वाला अपने भोजन को विषाक्त कर देता है।
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6) शान्ति रहित आनन्द भौतिक हैं, आनन्द सहित शान्ति शाश्वत है।
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7) शारीरिक और बौद्धिक परिश्रम दोनो ही अपने-अपने स्थान पर महत्वपूर्ण हैं। दोनो के सम्मिलन से एक पूर्ण परिश्रम का निर्माण होता है।
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8) ढूँढा सब जहाँ में, पाया तेरा पता नहीं, जब पता तेरा लगा तो अब मेरा पता मेरा नही।
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9) झुकता वो जिसमें कुछ जान हैं, अकडना मुर्दो की पहचान है।
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10) झूंठ पर आधारित संबंध रेत की नींव पर बने भवन के समान है।
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11) झूठ बोलना कायरता का चिन्ह है।
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12) झूठ बोलने से वाणी की शक्ति नष्ट होती है।
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13) उर्ध्व उठे फिर ना गिरे, यही मनुज को कर्म । औरन ले ऊपर उठे, इससे बडों न धर्म।।
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14) हृदय की अज्ञान ग्रन्थि का नष्ट होना ही मोक्ष कहा जाता है।
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15) हृदय में प्रेम रहे, बुद्धि में विवेक रहे और शरीर उपकार में लगा रहे।
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16) हृदय नम्र होता नहीं जिस नमाज के साथ, ग्रहण नहीं करता कभी उसको त्रिभुवन नाथ। - मैथिलि शरण जी 
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17) ऊँचे काम सदा ऊँचे व्यक्तित्व करते हैं। कोई लम्बाई से ऊँचा नही होता, श्रम, मनोयोग, त्याग और निरहंकारिता ही किसी को ऊँचा बनाती है।
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18) ऊँचे विचार लाने के लिये सादा जीवन आवश्यक है।
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19) ऊँचे उठो, प्रसुप्त को जगाओ, जो महान् हैं, उसका अवलम्बन करो।
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20) इतिहास और अनुभव का प्रत्येक अंकन अपने गर्भ में यह छिपाये बैठा हैं कि अनीति अपनाकर स्वार्थ, संकीर्णता से आबद्ध रहकर हर किसी को पतन और संताप की हाथ लगा हैं। उदार और निर्मल हुए बिना किसी ने भी शान्ति नही पायी है।
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21) इन्द्रिय संयम, अर्थ संयम, समय संयम और विचार संयम का सतत् अभ्यास करो।
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22) इन्द्रिय-निग्रह, अर्थ-निग्रह, समय-निग्रह और विचार-निग्रह यह चार संयम हैं। इन्हे साधने वाले महामानव बन जाते हैं और काम, क्रोध, लोभ, मोह इन चारो से मन को उबार लेने पर लौकिक सिद्धिया हस्तगत हो जाती है।
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23) इन्द्रिया सदैव आत्मा के विरुद्ध संघर्ष करती हैं। अतः सतत् सावधान रहो।
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24) इस युग को बदलेंगे कौन, जो कर सकते सेवा मौन।

युवकों ! सज्जन और शालीन बनो।

1) यहाँ वरिष्ठता की एक ही कसौटी हैं- विनम्रता, स्वयं पर अंकुश व कर्मनिष्ठ जीवनचर्या।
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2) यहाँ हर कोई अपनी क्षमता के अनुसार ही बर्ताव करता हैं। जिसके पास जितनी शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक एवं भावनात्मक क्षमता हैं, वह उसी के अनुसार बर्ताव करने के लिए विवश है। जिनकी भावनाए स्वार्थ एवं कुटिलता में सनी हैं, वे तो बस केवल क्षमा के पात्र हैं। उन्हे प्रेमपूर्ण हृदय से क्षमा कर देना चाहिए। बडे ही विवश हैं वे बेचारे। 
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3) यज्ञ केवल क्रिया नहीं हैं, यज्ञ श्रेष्ठ कर्मों को कहते है।
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4) यज्ञ हमारा तभी सफल, जब जन जीवन बने बिमल।
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5) या तो संयम को अपनाओ, या फिर नसबन्दी करवाओ।
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6) योजना कैसे हो ? अगर आप एक साल के लिये योजना करना चाहते हैं, तो आप अनाज बोइये। अगर आप दस साल के लिये योजना करना चाहते हो तो वृक्ष का बीज बोइये। और अगर आप सैकड़ों सालो के लिये योजना करना चाहते हैं तो मनुष्य निर्माण के बीज बोइये।
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7) यशलोलुपता, पदलोलुपता और अहमन्यता किसी के छिपाये नहीं छिपते।
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8) युधिष्ठिर नाम लेने से धर्म बढता है।
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9) युवकों ! सज्जन और शालीन बनो।
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10) युवा शक्ति अब आगे आओ, सृजन सैन्य का शंख बजाओ।
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11) युग का अवसान सद्विचारो एवं सत्प्रवृत्तियों के घट जाने से होता है।
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12) युग निर्माण योजना एक शंख निनाद हैं, जो संस्कारी व्यक्तियों को जगाने और उन्हे प्रभातकालीन कर्तव्यों मे जुटने का उद्बोधन कर रहा है।
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13) युग परिवर्तन की यह बेला आपको सपरिवार मंगलमय हो। शिव की शक्ति, मीरा की भक्ति, गणेश की सिद्धि, चाणक्य की बुद्धि, शारदा का ज्ञान, कर्ण का दान, राम की मर्यादा, भीष्म का वादा, हरिशचन्द्र की सत्यता, लक्ष्मी की अनुकम्पा, कुबेर की सम्पन्नता प्राप्त हो यही हमारी शुभकामना हैं।
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14) घर को तपोवन बनाने के लिये गृहपति को स्वयं तपस्वी बनना पडता हैं। भीतर से और बाहर से जैसा सोचा होगा, वैसे ही सिक्के ढलते चले जायेंगे।
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15) घर में स्वर्ग सा वातावरण बनाना चाहते हो तो दो काम करो। मस्तक पर आइस फेक्टरी, और जीभ पर शुगर फैक्टरी।
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16) घर से बहुत दूर हैं मन्दिर का रास्ता, आओं किसी रोते हुये को हॅसाये।
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17) घर वही है जहोँ प्रेम और सत्कार मिले।
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18) घर वालो की सेवा करने का पुण्य नही होता, क्योंकि पुण्य को ममता खा जाती है।
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19) घाटे मे वे रहते हैं जो अपनी उपेक्षा आप करते है।
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20) खोजे परगुण अपने दोष, सीमित साधन में सन्तोष।
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21) खुशदिल इन्सान जब तक जिंदा रहता हैं मजे से रहता है।
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22) खुशी से बढ़कर पौष्टिक खुराक और कोई नही।
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23) खुद को खराब कहने की हिम्मत नहीं हैं इसलिये लोग कहते हैं कि जमाना खराब है।
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24) खुद सुख लेंगे तो नाशवान सुख मिलेगा और दूसरों को सुख देंगे तो अविनाशी सुख मिलेगा।

मै कौन हूँ ?

1) यदि हम अपना जीवन श्रेष्ठ बनाना चाहते हैं तो सबसे पहले हमें अपने विचारों अर्थात् संकल्पो को श्रेष्ठ बनाना आवश्यक हैं। यही बीज हैं जिससे कर्म रुपी वृक्ष निकलता है।
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2) यदि हमारे जीवन में सच्चाई हैं तो उसका असर अपने-आप लोगो पर पड़ेगा।
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3) यदि परिवर्तन से डरोगे तो तरक्की कैसे करोगे।
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4) यदि पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास की प्रगाढता हैं तो परिवार में सर्वत्र प्रेम, स्नेह, श्रद्धा व सेवा की भावना बनी रहेगी।
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5) यदि प्रतिकूलता न हो तो लोग अपनी जागरुकता ही खो बैठे। सुधार के लिये भी और प्रगति के लिये भी जागरुकता आवश्यक है। वह बिना प्रतिकूलता से पाला पडे और किसी प्रकार उत्पन्न नहीं हो सकती है।
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6) यदि सफलता की चाह हैं तो स्वयं को प्रत्येक क्षण काम या उद्यम में डूबा दो, सफलता मिलकर रहेगी।
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7) यदि दुःख के बाद सुख न आता तो उसे कौन सहता।
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8) यदि देखने की इच्छा हो तो यह देखो कि मै कौन हूँ ?
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9) यदि तुम्हारे में राई के दाने जितना भी आत्मविश्वास हैं तो तुम्हारे लिये कुछ भी असम्भव नही।
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10) यदि जीवन में सुखी रहना चाहते हों तो हमेशा भलाई करो।
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11) यदि अपनी आत्मा में भय, शंका, अविश्वास, द्वेष, परायापन न हों, आत्मीयता की निष्ठा अति प्रगाढ हो तो मनुष्य जैसे संवेदनशील प्राणी द्वारा अविकसित पशु-पक्षियो और जन्तुओ में भी कौटुम्बिकता विकसित की जा सकती है।
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12) यदि आस्तिकता कभी जीवन में फलित होगी तो व्यक्ति कर्तव्य पालन को सबसे पहले महत्व देगा।
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13) यदि आप भगवान के समीप जाना चाहते हों तो उसी के समान निरहंकारी बन जाओ।
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14) यदि आप स्थाई रहने वाली संपदा चाहते हैं, तो धर्मात्मा बनिए।
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15) यदि आप चाहते हैं कि कोई आपको याद रखे तो समय-समय पर फोन पर बातें कर घर का हालचाल पूछे और हो सके तो कुछ उपहार भेंजे।
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16) यदि आपको दूसरों की प्रतीक्षा करने की आदत हैं, तो आप अवश्य पीछे रह जायेंगे।
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17) यदि आपमें सीखने की इच्छा हैं, तो ही आपको अच्छे गुरु मिलेंगे।
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18) यदि लोभ को हटाना चाहते हो तो तुम्हे पहले उसकी माँ विलासिता को हटाना होगा।
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19) यह एक अनुभूत सत्य हैं कि सफलताए हमेशा ही तप व पुण्य का परिणाम होती है।
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20) यह नियम हैं कि दुःखी आदमी ही दूसरे को दुःख देता है।
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21) यह शरीर आत्मा को अपना लक्ष्य पूरा करने के लिये मिला हैं, मन और इन्द्रियों की वासना पूर्ति के लिये नही।
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22) यह संसार एक दिव्य ईश्वरीय योजना हैं और उन्ही प्रभु की इच्छा से नियन्त्रित है। इस सत्य की अवहेलना करने वाले व्यक्ति को ईश्वर के प्रति समर्पित होने की कला नहीं आती है। परिणामतः मन में चिन्ता, उद्वेग एवं अनेक तरह की उलझने उत्पन्न हो जाती है।
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23) यह दुनिया तुम्हारे कार्यो की प्रशंसा करती हैं, तो इसमें कुछ भी बुरा नहीं, खतरा तब हैं, जब तुम प्रशंसा पाने के लिए किसी काम को करते हो।
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24) यह तथ्य हैं कि जिन्होने भगवान का आमन्त्रण सुना हैं, वह कभी घाटे में नहीं रहे।

मंगलवार, 28 जून 2011

Sacha Mitro ma hu "PREM" 6u.

1- "Our true character is most accurately measured by how we treat those who can do nothing for us..." 
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2- Valuable-
"Dont mix d words wid ur mood bcoz u'll ve many options 2 change d mood but u'll nvr get any option to replace d spoken words" 
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3- When U Feel God is Rubing U Against d Rocks, Dont Think dat U will Ruin Down 2 Dust. Its just dat He is Polishing a Gem, Bcz U r Precious! 
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4- Two words from Sanskrit that are strikingly similar, CHITA & CHINTA.
One burns the 'Dead' & the other burns the 'Living' 
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5- SRI Krishna a gita ma kidhu 6e.
Vruwxo ma hu pipdo 6u,
Paxio ma garud 6u,
Praanio ma sinh 6u,
Graho ma surya 6u ane
Sacha Mitro ma hu "PREM" 6u.
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6- Asfalta aapko mahan karyo k liye taiyar krne ki prakrti ki yojna h. 
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7- Har ka Swad malum ho to jeet hamesha meethi lagti h. 
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8- Somebody said to God:
"i HATE LIFE"
God replied-
"Who asked u to love life?
Just love a person who loves u and ur life will be beautiful" 
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9- When MIND is weak situation is a PROBLEM, when MIND is balanced situation is CHALLENGE, when MIND is strong situation is an OPPORTUNITY. 
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10- "SPEAK only when you feel your words are better than the silence..."! 
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11- Past is Waste Paper,
Present is News Paper,
Future is Question Paper,
So Carefully Read & Write.
Otherwise Life becomes Tissue paper. 
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12- UNCHE KAD ke vyakti humesha neeche dekh kar chalte hai, isliye zindgi apne se neeche logo ko dekhkar jeeni chahiye. 
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13- We discover who our real friends are when we are in trouble. Troubles are useful as they are temporary while the discovery is permanent. 
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14- Ur mind is a constant traffic of thoughts, & it is always rush hour, day in, day out. Meditation means to watch d movement of thoughts in d mind. -osho 
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15- Strange Fact-
Everybody Wish to Go Back & Repair Their PAST, that impossible.
But, Nobody is prepared to Construct their FUTURE that possible. 
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16- Me bhagwan hu or tum b bhagwan ho.
Fark bs itna h ki me yah janta hu, tum nahi jante.
-Satya Sai 
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17- Only ppl who r below ur Stndrd Coment on u,
Bt who r above u, dey jst Sm!le @ ur m!stks,
So nxt T!me !f sum1 comnts on u,
Jst g!ve dem ur Sm!le. 
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18- We are all born in this world for some special Purpose... 
none of us are waste. So, don't be a prisoner of past be an architect of ur future. 
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19- SANSAAR ME ANEK PRANI PAAP KE PARINAAMO SE TADAPTE DEKHE JAATE HAI. INHE DEKHKAR BHI HAM PAAP KARTE HAI AUR SOCHTE HAI KI PARINAAMO SE BACH LENGE ? 
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20- If evrything is goin acordin 2 ur wishes,den U r lucky. If it is nt goin, den u r too lucky, bcoz it is going acordin 2 god's wishes. 
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21- Ishwar se kabhi kuch mat mango.
Ishwar wo nhi deta jo Aapko achha lgta h.
balki Ishwar wo deta h jo Aapke liye achha h. 
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22- Y r v made 2 WRITE wid PENCIL wen v r CHILD & later on wid PEN ?
Coz MISTAKES made at dat tym is allowd 2b ERASED.
Bt nt later on.! 
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23- You have the capacity.... 
You just need to find the tenacity.
You have the vision.....
You just need to find the determination. 
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24- Personality is - who we r and what we do when everybody is watching.
Character is - who we r and what we do when NOBODY is watching.!

Thinking of Creative DEVLOPERS

1- For a Gud Relation of LifeTime Think Of This.
''Dont Ever Forget The Little KindNess Of Anyone Dont Remember The Small Faults Of Anyone". 
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2- Jis kary ko harsh or ullas k sath kiya jata h, usme sflta nishit h.     -Sunder kand 
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3- When u r HAPPY
u want to Reach d Person YOU Love d Most BUT
When you r SAD u want to Reach d Person WHO LOVES YOU MOST. 
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4- Without crossing d worst situations,
No one can touch d best corners of life.
So always taste worst situation & get best results. 
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5- Dnt b afraid to make a mistake, bt make sure u dnt make same mistake twice. 
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6- Feel the depth of this sentence-
"God does not like the hardness of Tongue and Heart..
That is why He made them Boneless ...!! 
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7- Doobta h to-
PANI ko dosh deta h.
Girta h to-
PATTHAR ko dosh deta h.
Insaan b bada AJEEB h,
Kuchh kar nahi pata to-
KISMAT ko dosh deta h. 
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8- 4 corruption cvc call-
1800110180
01124651000
9223174440
Memo-10 to 7 Monday to Friday
Direct Complaint.
Mobile Clip (sting) allow.
Jago Bhai ........
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9- Dhirubhai Ambani-
10rs pen is also costly when u have less than 10rs
So increase ur income bcoz u cant decrease d price of pen. 
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10- Koi Kriya Akarn nhi hoti, Karn se hi Kriya ki utpatti hoti h.
Aaj jo ho rha h uska Karn Hmara Atit h or jo Bhavishy me hoga vo aaj k Karn.......... 
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11- Luck is important factor in our life so don't wait ur good luck but learn how to make good luck. 
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12- Success Is a Vehicle Which Moves On a Wheel Named "Smart Work" But The Journey Is Impossible Without The Fuel Named "Self Confidence!!" 
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13- Kisi Mandir ki diwar pr likha tha...... 
Jb apne liye dua kro to dusro ko b yad kiya kro,
kya pta uske naseeb ki khushi apki 1 dua k intezar me ho. 
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14- Jo LOG BHAGWAN k KAAM mai apna SAMAY, SADHAN, DHAN lagate hai BHAGWAN B unke KAAM mai SADHAN aur DHAN ki KAMI nahi ane dete hai.
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15- "BE SO RICH THAT U CAN BUY D MOST EXPENSIVE THING U DESIRE. BUT BE SO EXPENSIVE THAT NO RICHNESS ON THE EARTH CAN BUY U." 
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16- If u 've d spirit of understanding everything & taking it in proper way, u ll enjoy every sec. of life, whether it is 'PLEASURE' or 'PRESSURE'!! 
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17- Thinking of Creative DEVLOPERS-
" Make d Best Rules 4 Follow Whole Life Bcoz Rules Give Us Action & Action Gives Us Result ! " 
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18- Vina k Tar ko itna mat chedo ki Tar tut jaye, or itna Dhila b mat chodo ki sur b na nikle.
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19- Patience and Silence r powerful energies, Patience Makes u Mentally Strong, Silence makes you Emotionally Strong.
Have a Strong & Heathly Life. 
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20- Quote for Goal:
Every ceiling,when reached, becomes a floor, upon which one walks as a matter of course and prescriptive right. 
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21- Waqt Kahta H Fir Na Aaunga,
Teri Aankho Ko Ab Na Rulaunga,
Jeena H To is Pal Ko Jee Le,
Shayad Me Kal Tak Na Ruk Paunga.
"Life is Beautiful" 
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22- Think about YOURSELF once in a day,
othrwise, U may miss to meet an EXCELLENT Person in this World. 
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23- A Big Pot full of Water can be Emptied by a Small Hole Even a little ANGER/EGO will Burn up all the Nobility of a Good HEART.
So Stay COOL.....
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24- "The most painful moment of life arrives when ur care is understood as interference.."
 So CARE only for those who DESERVE & RESPECT ur CARE!
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विज्ञ जनों के सत्परामर्श

1- "We cannot teach people anything; we can only help them discover it within themselves." 
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2- "Life is like a flute, 
It may have many holes & emptyness
But if u work on it carefully, 
It can play magical Melodies". 
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3- "Manushy K Karm Me Yadi Ahankar Aa Jaye To Yahi Ahankar Ek Din Use Apno Se Dur Kar Deta H" 
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4- "Every1 may nt b gud bt der is somthing gud in evry1 So nvr make a constant image 4 any1 bcoz every Saint has a past & every Sinner has a Future" 
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5- zindgi me sikhne ke 3 trike h.
1.Apni gltiyo se
2.Dusro ki gltiyo se
3.Dusro ki sfaltao se.
inme sbse acha trika 3. h fir 2. or fir 1. 
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6- Beautiful quote-
"We need Everything 'Permanent' For a 'Temporary' life !!" 
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7- Beautiful photos r developed 4m negative in a dark rum so wen u c darkness in ur lyf, belive dat God is preparng somthing beautiful 4 u. 
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8- Always B Like A Child Coz D Child Does Not Know About Its Past As Well As Its Future But It Enjoys Every Second Of Life Bring out d child in u. 
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9- All Communication Problems r Bcoz v do not Listen to UNDERSTAND, Rather v Listen to REPLY. 
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10- Believe Where Others doubt.
Work Where Others refuse.
Save Where Others Waste.
Stay Where Others Quit. 
And you Will Win Where Others lose!! 
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11- Apne aapko khud vayvasthit kijiye nhi to apko dusro ki vayvasthao pr chalna padega. 
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12- Nav Sanvatsar 2068 ki Hardik Shubhkamnaye-
Aisa koi jahan mile,
jaha chehro pr muskan mile,
khas mile mandir me allah or masjid me bhagwan mile. 
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13- The Law of Win says, "Let's not do it your way or my way, let's do it the best way." 
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14- Zindgi ki sabse badi safalta Wo hai.
Jab aapka Parivaar aapko Dost samajhne lage.
Aur Dost aapko apna Pariwar. 
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15- DELAY is d enemy of EFFICIENCY..
WAITING is d enemy of UTILISATION...
So, Don't delay anything & Don't wait for anything.. 
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16- Cool attitude..
I don't have time to hate people who hate me,
bCoz I'm too busy loving people who love me. 
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17- Duniya mai 2 aadmi apko sabse jyada jante hai,,,
ek woh jo apko sabse jyada mohobbat karta hai
aur dusra woh jo apse nafrat karta hai.. 
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18- Beautiful words Read it till you under$tand:-
"Faults are Thin when Relationships are Thick". 
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19- Dharti Pe Ishwar Ki Talas H,
Malik Tera Banda Kitna Nirash H,
Q khojta H Insan Ishwar Ko,
Jabki Tere Dusre Roop Me MAA Uske Itne Paas H. 
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20- Chinta kl k Dukh ko km nhi krti, Blki aaj ki "Takat" ko ghata deti h. 
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21- Char Palo Ki H Ye Zindgani,
Ise Usulo Me Mt Sametna.
Khud K Hisse Ka To Ji Lete H Sabhi,
Kbhi Dusro Ka Hissa B Bankar Dekhana. 
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22- Best Line 4 a Practical Life from Charlie Chaplin-
"I have Many Problems in My Life.
But My lips don't know that"
They always Smile. 
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23- Ho Ishwar k ansh aatmavishwaas jagao re, Hokar rajkumar na tum kangal kahao re -Vand. Mataji
Ham Badlenge Yug Badlega.
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24- Hitechagent-
The Best Sentense By Swami Vivekananda:
"Take risks in ur life"..
>If u win, u can lead.!
>If u loose, u can guide.

सोमवार, 20 जून 2011

अखण्ड ज्योति मार्च 1987

Jhansi ki rani "Lakshmi Bai"

1. मानव जीवन की विशिष्टता एवं सार्थकता

2. विज्ञ जनों के सत्परामर्श

3. आत्मा की परमात्मा से गुहार

4. प्रभु दर्शन की पूर्व भूमिका

5. धर्म का मूल प्रयोजन-सत्य की शोध

6. पुरोहित वर्ग किसी की कृपा का मोहताज नहीं

7. विलाप किस बात का ?

8. जापान क्षेत्र की ‘‘जेन’’ साधना

9. योगाभ्यास के आरम्भिक दो चरण-यम-नियम

10. सोमरस पान का ज्ञान-विज्ञान

11. हमारा रहस्यमय नाभि गह्वर

12. कामुकता का आवेश उन्माद

13. शोपन हावर-जर्मन का ब्रह्मवेत्ता

14. सबसे बड़ा अजूबा-मनुष्य

15. इच्छाशक्ति का सुनियोजन कैसे करें ?

16. अध्यात्म क्षेत्र का प्रतिभा पलायन

17. जागते रहो ! सावधान रहो !

18. भटकते न फिरें, ध्रुव के साथ जुड़े

19. जीवन का उद्गम-सविता

20. स्वप्नों में दिव्य संकेतों का सम्मिश्रण

21. मनुष्य भी ज्वालामुखी की तरह फूटता है

22. मनुष्य असाधारण है, अनुपम और अद्भुत भी

23. धरती का देवता

24. सुसंतति के सम्बन्ध में वैज्ञानिक प्रयोग

25. झूठे आरोपों में गिराने की झूठे नहीं

26. धरती देवताओं की क्रीडा भूमि

27. अग्नि मीड़े पुरोहितं

28. हमारी अद्भुत कायिक संरचना

29. ‘‘गर कुफ्र न होता तो मैं कहता कि तुम खुदा हो’’

30. युग परिवर्तन अब दूर नहीं

31. प्रज्ञा समारोहों के साथ जुड़ी अम्रताशन प्रक्रिया

32. अपनो से अपनी बात
                                       

अखण्ड ज्योति फरवरी 1987

1. अवरोध क्यों आते हैं ? प्रयास क्यों असफल होते हैं

2. चिन्तन-चेतना में उत्कृष्टता उभरें

3. हम विनाश की कगार पर खड़े है

4. अगणित विपत्तियों का एक ही उद्गम

5. प्रस्तुत समस्याओं का एक ही निराकरण

6. कुविचार अपनाने से ही विपत्तियाँ बढ़ी हैं

7. सर्वनाश का एकमात्र कारण दुर्गति

8. अवरोधों से जूझने की सूझबूझ जगे

9. पुरातन और अर्वाचीन दर्शन आदर्शो का समर्थन करे

10. अन्तरंग को सुधारें, बहिरंग सुविकसित होगा

11. इक्कीसवी सदी विशेषांक-क्रिया पर उत्तरार्ध-विनाश विभीषिकाओं का अन्त होकर रहेगा

12. सहायता के लिए दैवी शक्ति का आह्वान

13. खतरा इतना गम्भीर नहीं ?

14. बढ़ती हुई विभीषिकाओं के हल निकलेंगे

15. भावी परिवर्तन की पृष्ठभूमि

16. प्रतिभाएँ अग्रिम पंक्ति में आएँ

17. नवयुग की चार आधारशिलाएँ

18. प्रचण्ड धर्मानुष्ठान की पुण्य प्रक्रिया

19. धर्मतन्त्र द्वारा आस्था क्षेत्र का परिमार्जन

20. विश्व शान्ति भारत की भूमिका

21. परिवर्तन की अदृश्य किन्तु अदृभुत प्रक्रिया

22. दिव्य सम्भावना सुनिश्चित है

23. गूँज उठी है सभी दिशाएँ-जनजागरण के उद्घोष से-राष्ट्रीय एकता और अखण्डता को अक्षुण्ण बनाए रखने का संकल्प

24. अपनो से अपनी बात

अखण्ड ज्योति जनवरी 1987

1. कुण्डलिनी साधना क्यों ? किस प्रयोजन के लिए ?

2. गायत्री, सावित्री और कुण्डलिनी महाशक्ति

3. प्राणाग्नि प्रज्वलन कुण्डलिनी साधना से

4. आत्म विज्ञान की साधना का गुह्य तत्व ज्ञान

5. योग का रहस्य और सिद्धि परिकर

6. कुण्डलिनी के पाँच मुख-पाँच शक्ति प्रवाह

7. प्राण-सत्ता का कलेवर-यह कायपिंजर

8. षट्चक्रों की पिटारी में कैद चेतना का महासागर

9. सात रत्न भण्डारों की तिजोरी-यह देव शरीर

10. कुण्डलिनी के वशीभूत-ब्राह्मी चेतना के क्रिया कलाप

11. कुल कुण्डलिनी देवि, कन्द मूल निवासिनी

12. कुण्डलिनी एक प्रचण्ड प्राण ऊर्जा

13. ग्रहण सरल है, प्रेषण कठिन

14. दिव्य शक्ति का निर्झर-कुण्डलिनी का चक्र परिवार

15. सर्पिणी का जागरण-शक्ति का उर्ध्वगमन

16. नव सृजन के निमित्त साधना पराक्रम

17. राष्ट्र कुण्डलिनी की परिवर्तन प्रक्रिया

18. कुण्डलिनी साधना का मर्म एवं आवश्यक मार्गदर्शन

19. अपनो से अपनी बात

20. प्रगति पथ पर अग्रसर प्रज्ञा परिवार-आई अब जाग्रति की बेला, सोने वालों जागो रे

अखण्ड ज्योति दिसम्बर 1986

1. उन्नति नहीं, प्रगति अभीष्ट

2. योग साधना की तीन धाराएँ

3. परमात्मा की प्रतीक प्रतिनिधि-आत्मसत्ता

4. समत्व कितना सम्भव कितना असम्भव

5. आत्मज्ञानं परं ज्ञानम्

6. स्वर्ग नरक इसी धरती पर विद्यमान

7. शिव का तत्वज्ञान

8. दिव्य ज्योति दर्शन की ध्यान धारणा

9. सन्तों के वरदान और अनुदान

10. श्रद्धा और अन्ध श्रद्धा

11. आध्यात्मिक साम्यवाद की दिशाधारा

12. कलमी आदमी नहीं बन सकते

13. सुरदुर्लभ मनुष्य जन्म की सार्थकता

14. आत्मसत्ता की तथ्य सम्मत प्रामाणिकता

15. काया में समाया-ऊर्जा का जखीरा

16. अलौकिक शक्तियों का उद्गम-अन्तराल में

17. विश्वास और चिकित्सा

18. अज्ञान सम्पदा खोजी और खोदी निकाली जाय

19. ज्योतिर्विज्ञान और वेधशालायें

20. अन्तरिक्षीय रहस्यों का एक नया दौर

21. मंगल ग्रह की दुर्दशा से हम सब सबक लें

22. इक्कीसवी सदी की भवितव्यताएँ-नारी की प्रतिभा उभरेगी-क्षमता निखरेगी-4

23. एकता और समता का आदर्श

24. सतयुग लौटने ही वाला है

25. शेखसादी के नीति वचन

26. सन्त इमर्सन के वैदिक विचार

27. हजरत उमर-उनके जीवन के कुछ प्रसंग

28. अंगकोरवाट जिसे अन्धविश्वास व पलायन ले डूबा

29. न वित्तेन तर्पणीयो मनुष्यः

30. परोक्ष जगत का परिशोधन-यज्ञों के माध्यम से
31. सत्साहस की सामर्थ्य



32. अपनो से अपनी बात

अखण्ड ज्योति नवम्बर 1986

1. गहरें उतरे, विभूतियाँ हस्तगत करें

2. कार्तिकी अमावस्या का ज्योति पर्व

3. ध्यान योग का आधार और स्वरूप

4. भज गोविन्दम् मूढमते

5. वेदान्त दर्शन का सार तत्व

6. अष्टांग योग का महत्वपूर्ण सोपान-समाधि

7. प्रेम तेरे रूप अनेक

8. मानवी विकास के प्रारम्भिक सोपान

9. धर्मोहि परमलोके, धर्मे सत्यं प्रतिष्ठितम्

10. विज्ञान और अध्यात्म बनेंगे अब पूरक

11. इक्कीसवीं सदी की भवितव्यताएँ-क्या सृष्टि का अंत सचमुच निकट हैं-3

12. दरारें पड़ने और बढ़ने न पायें

13. प्रकृति ही नहीं, पुरूष भी

14. मानवी काया में विलक्षणताओं के केन्द्र

15. एक ही काया में दो व्यक्तित्व

16. रहस्यम सिद्धियाँ-जो प्रत्यक्ष होती जा रही है

17. मनुष्य मात्र एक कोरा कागज है

18. बड़प्पन बोझ पर नहीं, व्यक्तित्व पर निर्भर

19. ज्योतिर्विज्ञान की असंदिग्ध प्रामाणिकता

20. कान व आँख खुले रखें

21. शक्ति सम्प्रेषण का तत्वज्ञान

22. कामुकता का भ्रमजाल

23. संसार हमारी ही प्रतिध्वनि, प्रतिछाया हैं

24. अग्निहोत्र का अन्तरिक्ष पर प्रभाव

25. गरीबों के साथ गरीब बनकर रहो

26. मृत्यु से भयभीत क्यों ?

27. बुद्ध का लोकसेवी परिब्राजकों को सन्देश

28. भारतीय संस्कृति बनाम आरण्यक संस्कृति

29. देव ऋण से उऋण कैसे हों ?

30. प्रगति ओर अवगति से भरी इक्कीसवी सदी


31. अपनो से अपनी बात

अखण्ड ज्योति अक्टूबर 1986

1. स्थिति के अनुरूप व्यवहार भिन्नता

2. सर्वत्र बिखरी शोभा सुषमा

3. मनुष्य और मनुष्यता

4. धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष

5. हमें प्रज्ञा का आश्रय लेना पड़ेगा

6. ज्ञान, कर्म ओर भक्ति का रहस्य

7. कायोत्सर्ग की भाव भूमिका

8. हम ईश्वर के-ईश्वर हमारा

9. ओंकार विवेचना

10. योग और तन्त्र की पृष्ठभूमि

11. इक्कीसवी सदी की भवितव्यताएँ-भावी समस्याओं का सुनिश्चित समाधान

12. संयमशीलता बनाम सज्जनता

13. धर्मगुरू और शासक जिनने जिम्मेदारी निभायी

14. अध्यात्म पर लगा अन्धविश्वास का कलंक

15. ईसा का कफन

16. मुस्कराते रहिये

17. पुरातन काल का भौतिक विज्ञान

18. अंतः चक्षुओं की अपरिमित सामर्थ्य

19. अविज्ञान रहस्यों से भरा-पूरा संसार

20. दूरगामी विचार संचरण

21. अदृश्य शक्तियों का हस्तक्षेप

22. चर्च के पादरी भी प्रेतबाधा के चपेट में

23. अनेकता छोड़ें-एकता अपनाएँ

24. ऋतु प्रभाव के सहन का अभ्यास डालें

25. अग्निहोत्र और यज्ञ का अन्तर

26. चंड मुंड वधे देवि रक्त बीज विनाशिनी

27. अपनो से अपनी बात

28. बड़ा संगठन न बन पड़े तो ?
                                      

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