सोमवार, 20 जून 2011

अखण्ड ज्योति नवम्बर 1986

1. गहरें उतरे, विभूतियाँ हस्तगत करें

2. कार्तिकी अमावस्या का ज्योति पर्व

3. ध्यान योग का आधार और स्वरूप

4. भज गोविन्दम् मूढमते

5. वेदान्त दर्शन का सार तत्व

6. अष्टांग योग का महत्वपूर्ण सोपान-समाधि

7. प्रेम तेरे रूप अनेक

8. मानवी विकास के प्रारम्भिक सोपान

9. धर्मोहि परमलोके, धर्मे सत्यं प्रतिष्ठितम्

10. विज्ञान और अध्यात्म बनेंगे अब पूरक

11. इक्कीसवीं सदी की भवितव्यताएँ-क्या सृष्टि का अंत सचमुच निकट हैं-3

12. दरारें पड़ने और बढ़ने न पायें

13. प्रकृति ही नहीं, पुरूष भी

14. मानवी काया में विलक्षणताओं के केन्द्र

15. एक ही काया में दो व्यक्तित्व

16. रहस्यम सिद्धियाँ-जो प्रत्यक्ष होती जा रही है

17. मनुष्य मात्र एक कोरा कागज है

18. बड़प्पन बोझ पर नहीं, व्यक्तित्व पर निर्भर

19. ज्योतिर्विज्ञान की असंदिग्ध प्रामाणिकता

20. कान व आँख खुले रखें

21. शक्ति सम्प्रेषण का तत्वज्ञान

22. कामुकता का भ्रमजाल

23. संसार हमारी ही प्रतिध्वनि, प्रतिछाया हैं

24. अग्निहोत्र का अन्तरिक्ष पर प्रभाव

25. गरीबों के साथ गरीब बनकर रहो

26. मृत्यु से भयभीत क्यों ?

27. बुद्ध का लोकसेवी परिब्राजकों को सन्देश

28. भारतीय संस्कृति बनाम आरण्यक संस्कृति

29. देव ऋण से उऋण कैसे हों ?

30. प्रगति ओर अवगति से भरी इक्कीसवी सदी


31. अपनो से अपनी बात

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