1) यहाँ वरिष्ठता की एक ही कसौटी हैं- विनम्रता, स्वयं पर अंकुश व कर्मनिष्ठ जीवनचर्या।
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2) यहाँ हर कोई अपनी क्षमता के अनुसार ही बर्ताव करता हैं। जिसके पास जितनी शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक एवं भावनात्मक क्षमता हैं, वह उसी के अनुसार बर्ताव करने के लिए विवश है। जिनकी भावनाए स्वार्थ एवं कुटिलता में सनी हैं, वे तो बस केवल क्षमा के पात्र हैं। उन्हे प्रेमपूर्ण हृदय से क्षमा कर देना चाहिए। बडे ही विवश हैं वे बेचारे।
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3) यज्ञ केवल क्रिया नहीं हैं, यज्ञ श्रेष्ठ कर्मों को कहते है।
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4) यज्ञ हमारा तभी सफल, जब जन जीवन बने बिमल।
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5) या तो संयम को अपनाओ, या फिर नसबन्दी करवाओ।
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6) योजना कैसे हो ? अगर आप एक साल के लिये योजना करना चाहते हैं, तो आप अनाज बोइये। अगर आप दस साल के लिये योजना करना चाहते हो तो वृक्ष का बीज बोइये। और अगर आप सैकड़ों सालो के लिये योजना करना चाहते हैं तो मनुष्य निर्माण के बीज बोइये।
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7) यशलोलुपता, पदलोलुपता और अहमन्यता किसी के छिपाये नहीं छिपते।
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8) युधिष्ठिर नाम लेने से धर्म बढता है।
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9) युवकों ! सज्जन और शालीन बनो।
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10) युवा शक्ति अब आगे आओ, सृजन सैन्य का शंख बजाओ।
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11) युग का अवसान सद्विचारो एवं सत्प्रवृत्तियों के घट जाने से होता है।
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12) युग निर्माण योजना एक शंख निनाद हैं, जो संस्कारी व्यक्तियों को जगाने और उन्हे प्रभातकालीन कर्तव्यों मे जुटने का उद्बोधन कर रहा है।
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13) युग परिवर्तन की यह बेला आपको सपरिवार मंगलमय हो। शिव की शक्ति, मीरा की भक्ति, गणेश की सिद्धि, चाणक्य की बुद्धि, शारदा का ज्ञान, कर्ण का दान, राम की मर्यादा, भीष्म का वादा, हरिशचन्द्र की सत्यता, लक्ष्मी की अनुकम्पा, कुबेर की सम्पन्नता प्राप्त हो यही हमारी शुभकामना हैं।
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14) घर को तपोवन बनाने के लिये गृहपति को स्वयं तपस्वी बनना पडता हैं। भीतर से और बाहर से जैसा सोचा होगा, वैसे ही सिक्के ढलते चले जायेंगे।
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15) घर में स्वर्ग सा वातावरण बनाना चाहते हो तो दो काम करो। मस्तक पर आइस फेक्टरी, और जीभ पर शुगर फैक्टरी।
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16) घर से बहुत दूर हैं मन्दिर का रास्ता, आओं किसी रोते हुये को हॅसाये।
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17) घर वही है जहोँ प्रेम और सत्कार मिले।
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18) घर वालो की सेवा करने का पुण्य नही होता, क्योंकि पुण्य को ममता खा जाती है।
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19) घाटे मे वे रहते हैं जो अपनी उपेक्षा आप करते है।
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20) खोजे परगुण अपने दोष, सीमित साधन में सन्तोष।
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21) खुशदिल इन्सान जब तक जिंदा रहता हैं मजे से रहता है।
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22) खुशी से बढ़कर पौष्टिक खुराक और कोई नही।
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23) खुद को खराब कहने की हिम्मत नहीं हैं इसलिये लोग कहते हैं कि जमाना खराब है।
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24) खुद सुख लेंगे तो नाशवान सुख मिलेगा और दूसरों को सुख देंगे तो अविनाशी सुख मिलेगा।
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