सोमवार, 20 जून 2011

अखण्ड ज्योति मार्च 1987

Jhansi ki rani "Lakshmi Bai"

1. मानव जीवन की विशिष्टता एवं सार्थकता

2. विज्ञ जनों के सत्परामर्श

3. आत्मा की परमात्मा से गुहार

4. प्रभु दर्शन की पूर्व भूमिका

5. धर्म का मूल प्रयोजन-सत्य की शोध

6. पुरोहित वर्ग किसी की कृपा का मोहताज नहीं

7. विलाप किस बात का ?

8. जापान क्षेत्र की ‘‘जेन’’ साधना

9. योगाभ्यास के आरम्भिक दो चरण-यम-नियम

10. सोमरस पान का ज्ञान-विज्ञान

11. हमारा रहस्यमय नाभि गह्वर

12. कामुकता का आवेश उन्माद

13. शोपन हावर-जर्मन का ब्रह्मवेत्ता

14. सबसे बड़ा अजूबा-मनुष्य

15. इच्छाशक्ति का सुनियोजन कैसे करें ?

16. अध्यात्म क्षेत्र का प्रतिभा पलायन

17. जागते रहो ! सावधान रहो !

18. भटकते न फिरें, ध्रुव के साथ जुड़े

19. जीवन का उद्गम-सविता

20. स्वप्नों में दिव्य संकेतों का सम्मिश्रण

21. मनुष्य भी ज्वालामुखी की तरह फूटता है

22. मनुष्य असाधारण है, अनुपम और अद्भुत भी

23. धरती का देवता

24. सुसंतति के सम्बन्ध में वैज्ञानिक प्रयोग

25. झूठे आरोपों में गिराने की झूठे नहीं

26. धरती देवताओं की क्रीडा भूमि

27. अग्नि मीड़े पुरोहितं

28. हमारी अद्भुत कायिक संरचना

29. ‘‘गर कुफ्र न होता तो मैं कहता कि तुम खुदा हो’’

30. युग परिवर्तन अब दूर नहीं

31. प्रज्ञा समारोहों के साथ जुड़ी अम्रताशन प्रक्रिया

32. अपनो से अपनी बात
                                       

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