1. अमर ज्योति
3. आश्रम धर्म
8. ऐसा यज्ञ करो
10. शक्ति या सेवा
11. व्यर्थ की बकवात
12. अमर नारद
15. ओ मेघ ! वर्षो !
16. सफलता पर दुख
17. तपस्या और सत्संग
18. शक्ति का उपयोग
19. आत्म दंड
22. संगठन और लक्ष्मी
25. कहाँ बैठूं
26. पाठकों का पृष्ठ
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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