1. अपने पथिक से
4. आत्मबल
13. असभ्य की सभ्यता
17. कर्तव्य कर्म
21. प्रभु प्रेम
23. खुद भी मदद कीजिए
26. पतन का मार्ग
27. सदाचार का सोपान
30. असन्तो के स्वभाव
31. पाठकों का पृष्ठ
32. समालोचना
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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