शनिवार, 15 जनवरी 2011

समर्थ गुरू

समर्थ गुरू रामदास व छत्रपति शिवाजी कहीं जा रहे थे। बीच में नदी आई । समर्थ गुरू ने शिवा से कह- नदी गहरी हैं, पहले मैं जाता हूँ, कोई खतरा नहीं होगा तो तुम्हें आवाज दे दूंगा। शिवाजी ने कहा- नहीं, पहले मैं जाउंगा। दोनों के बीच तें तनातनी हो गई। आखिर पहले शिवाजी चले गए। सकुशल पहुँचने के बाद उन्होंने गुरूजी को कहा- आप भी आ जाइए। गुरूजी ने पहुँचते ही कहा- शिवा, आज तुम्हें कुछ हो जाता तो मैं दूसरा शिवा कहाँ से लाता। शिवाजी ने कहा- मैं डूब जाता तो समर्थ गुरू रामदास में इतनी ताकत हैं कि वह सौ-सौ दूसरे शिवा पैदा कर देता, पर आपको कुछ हो जाता तो इस शिवा में इतनी ताकत नहीं हैं कि वह एक भी समर्थ गुरू रामदास को पैदा कर पाता। 

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