प्रत्येक छोटे से लेकर बड़े कार्यक्रम शान्त और संतुलित मस्तिष्क द्वारा ही पूरे किए जा सकते हैं। संसार में मनुष्य ने अब तक जो कुछ भी उपलब्धियां प्राप्त की हैं, उनके मूल में धीर-गंभीर, शान्त मस्तिष्क ही रहे हैं। कोई भी साहित्यकार, वैज्ञानिक, कलाकार-शिल्पी, यहा तक की बढ़ई, लोहार, सफाई करने वाले श्रमिक तक अपने कार्य, तब तक भली भांति नहीं कर सकते, जब तक उनकी मन-स्थिति शान्त न हो।
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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