बुधवार, 28 जुलाई 2010

खोई हुई सुई

एक बार एक औरत अपने झोपडे के बाहर कुछ खोज रही थी। पास-पड़ोस के लोगो ने सोचा ,बूढी औरत है चलो मदद की जाए ,उन लोगों ने पूछा क्या खोजती हो ? उसने कहा, 'मेरी सुई खो गयी है' इस पर लोगो ने सुई खोजना शुरू कर दिया । अब सुई जैसी छोटी चीज, साँझ का समय जब बहुत देर खोजने के बाद भी नही मिला और अँधेरा होने लगा तों एक आदमी ने पूछा, 'ऐ! बूढी औरत ये तो बता दे की तेरी सुई खोई कहाँ है ? तब बूढी औरत ने कहा,' सुई तों मेरे घर के अन्दर खोई है, लेकिन वहाँ बहुत अँधेरा है और मेरे पास दीया नही है, इसलिए जहाँ उजाला है उसे वही खोजा जा सकता है, क्योकि अंधेरे में तों सुई मिलेगी नही। लोगो ने कहा पागल हो गयी है तू बुढिया, सुई अन्दर है और तू उसे बाहर खोज रही है, चलो सब लौट चलो, चलो इस पागल को खोजने दो, यह कहकर सभी लोग लौटने लगे, जब वो लोग लौटने को हुए तों बूढी औरत हँसने लगी और कहा की तुम मुझे पागल कहते हो तब तो सारी दुनिया ही पागल है, क्योंकि सारे लोग तों बाहर ही खोजते है, उसे जो अन्दर है।

चाहे वो सुख हो या फिर सफलता वो हमारे भीतर छिपा होता है पर दुर्भाग्यवश लोग उसे वहाँ नही खोजते। अपने अन्दर खोजने वालों को ही अपनी शक्ति का एहसास हो सकता है ।

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