बुधवार, 28 जुलाई 2010

ईश्वर की कृपा

एक गांव में बाढ़ आने से पहले सभी गांव वाले अपना - अपना घर छोड़ कर भाग रहे थे, सिवाए एक आदमी के जिसने कहा कि इश्वर मुझे बचायेगा, मुझे उस पर पूरा भरोसा है ।

जब पानी का स्तर बढ़ा तो उसे बचाने के लिए एक जीप आई तो उसने मना कर दिया और मकान के दूसरे मंजिल पर चला गया और कहा कि इश्वर मुझे बचायेगा, मुझे उस पर भरोसा है। तभी एक नाव उसे बचाने के लिए आई उसने इंकार कर दिया और कहा कि ईश्वर मुझे बचायेगा, मुझे उस पर भरोसा है। जब पानी स्तर और बढ़ा तो वह मकान के छत पर चढ़ गया, इस बार उसे बचाने के लिए हेलीकॉप्टर आया पर उसने फिर वही बात दुहराई कि ईश्वर मुझे बचायेगा, मुझे उस पर भरोसा है और वो नही चढा। जब पानी का स्तर बढ़कर उसके नाक तक आया तो वह उसे एक लकड़ी का तख्ता मिला पर उसने उसका भी सहारा नही लिया और फिर मन ही मन कहा कि इश्वर मुझे बचायेगा, मुझे उस पर भरोसा है और अंत मे वह पानी मे डूबकर मर गया ।

जब मरकर ईश्वर के पास पंहुचा तो उसने गुस्से से पूछा मुझे तुम पर पूरा भरोसा था फिर तुमने मेरी प्रार्थना क्यो अनसुनी कर दी ? तब इश्वर ने कहा कि वह जीप, नाव, हेलीकॉप्टर, तख्ता आदि किसने भेजा था ? लेकिन नहीं बचने कि गलती तुम्हारी थी, भला मैं क्या कर सकता था ?

भाग्य उन्ही का साथ देता है जो अपनी मदद ख़ुद करते हैं , किस्मत और भगवान् पर जो सब कुछ छोड़ देते हैं उनसे बड़ा बेवकूफ दुनिया में कोई नहीं होता!

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