बुधवार, 28 जुलाई 2010

सुकरात का नजरिया

सुकरात एक महान दार्शनिक तो थे ही, उनका जीवन संतों के जीवन की तरह परम सादगीपूर्ण था। उनके पास कोई संपत्ति नहीं थी, यहाँ तक कि वे पैरों में जूते भी नहीं पहनते थे। फ़िर भी वे रोज़ बाज़ार से गुज़रते समय दुकानों में रखी वस्तुएं देखा करते थे।

उनके एक मित्र ने उनसे इसका कारण पूछा। सुकरात ने कहा – “मुझे यह देखना बहुत अच्छा लगता है कि दुनिया में कितनी सारी वस्तुएं हैं जिनके बिना मैं इतना खुश हूँ।” 

कोई टिप्पणी नहीं:

LinkWithin

Blog Widget by LinkWithin