परमपूज्य गुरुदेव आचार्य श्रीराम शर्मा अपने प्रवचन में कहा करते थे-``मै धरती का भाग्य-भविष्य बदलने आया हूँ। मै आना नही चाहता था, पर मुझे धकेला गया है । और विशिष्ट कार्यो के लिए भेजा गया है । लोग मुझे मनोकामना पूरी करने की मशीन मानते है । मै उनकी थोड़ी मानकर उन्हें बदलने का प्रयास करता हूँ । जो बदल जाते हैं, वे ही मेरे सैनिक-युग परिर्वतन के अग्रदूत बन जाते है ।
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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