गुरुवार, 9 जून 2011

अखण्ड ज्योति अप्रेल 1978

1. वरदानी शक्ति का देवता-सुदृढ़ संकल्प

2. मानव जीवन की नौ क्षुद्रताएँ

3. धर्म की सत्ता और उसकी महान् महत्ता

4. उपलब्धियाँ नहीं आधार आवश्यक

5. धर्म की स्थापना ही नहीं, अधर्म की अवहेलना भी

6. प्रत्यक्ष से भी अति समर्थ अप्रत्यक्ष

7. समर्थ सत्ता को खोजें, पत्तों में न भटकें

8. कर्म और अकर्म का रहस्य

9. आत्मिक प्रगति के लिए तप-तितिक्षा की आवश्यकता

10. आत्मचेतना विराट् की प्रतिनिधि

11. हृदय किसी ओर के लिए नहीं

12. उत्कृष्टता सम्पन्न दिव्य जीवन जियें

13. सफलता बनाम आत्मविश्वास

14. मन्त्र शक्ति के चमत्कारी सत्परिणाम

15. हम सच्चे अर्थों में सुसंस्कृत बने

16. सम्वेदना शून्य न हो जाये

17. खबरदार सागर को छेड़ने की भूल न करे

18. ये पदचिन्ह हमने बनाये है

19. विषाद मनोरोग और उससे छुटकारा

20. पेट के साथ तो अत्याचार न करें

21. पैदल चलने का इलाज

22. समता के सिद्धान्त का प्रतिपालन

23. अपनो से अपनी बात

24. त्रिविध निर्माण के संकल्प उभरें

25. युग गायकों की अभिनव शिक्षण व्यवस्था

26. कुछ आवश्यक ज्ञातव्य

27. बाधाओं का अनुदान-कविता


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