गुरुवार, 9 जून 2011

अखण्ड ज्योति जून 1977

1. जीवन ओर उसकी परिभाषा

2. योग का प्रयोजन और प्रतिफल

3. श्रद्धा अन्तःजीवन की एक प्रबल शक्ति

4. हिमालय की छाया-गंगा की गोद में ब्रह्मवर्चस् साधना

5. कुण्डलिनी जागरण और चक्र वेधन

6. आत्मबोध और तत्वबोध की दैनिक साधना

7. साधना की सफलता में आसन की उपयोगिता

8. प्राणायाम प्राणशक्ति बढ़ाने का वैज्ञानिक आधार

9. कुण्डलिनी योग और अजपा गायत्री

10. हंस योग की शास्त्र चर्चा

11. खेचरी मुद्रा की प्रतिक्रिया और उपलब्धि

12. उर्ध्वगमन का अभ्यास शक्ति चालनी मुद्रा द्वारा

13. त्राटक साधना से दिव्य दृष्टि की जागृति

14. अनाहत नाद ब्रह्म की साधना ओंकार के माध्यम से

15. नाद साधना का क्रमिक अभ्यास

16. तप साधना द्वारा दिव्य शक्तियों का उद्भव

17. दुष्कर्मो की निवृति प्रायश्चित द्वारा ही सम्भव हैं

18. तीर्थयात्रा हर किसी के लिए हर स्थिति में सम्भव !

19. ब्रह्मवर्चस् साधना का भावी उपक्रम

20. जिन्दगी इन्सान के तप की कला है-कविता


कोई टिप्पणी नहीं:

LinkWithin

Blog Widget by LinkWithin