गुरुवार, 2 जून 2011

अखण्ड ज्योति जनवरी 1972

1. बनाने की सोचिए, बिगाड़ने की नहीं

2. प्रेम का अमरत्व और उसकी व्यापकता

3. दिव्य दृष्टि का बहुमूल्य संयत्र-आज्ञाचक्र

4. मन्त्र विद्या और उसकी सुनिश्चित सामर्थ्य

5. योग विद्या का वैज्ञानिक विश्लेषण

6. प्रार्थना का स्वरूप, स्तर और प्रभाव

7. आयु नहीं योग्यता

8. हमारे आदर्शवादी उपदेष्टा एवं सद्गुरू ऐंजाइम

9. छिपा हुआ धन-नया प्रमाण सनातन दर्शन

10. तीसरी आँख से लेकर परकाया प्रवेश तक

11. धर्मनिष्ठा आज की सर्वोपरि आवश्यकता

12. अन्धविश्वास-सृजेता को भी खाता हैं

13. शीत हमारा मित्र हैं-ताप शत्रु

14. मधु वर्षा किसने की ?

15. रोगी न मारा जाय, केवल रोग ही मरे

16. एक हाथ में माला, एक हाथ में भाला के मन्त्र दाता

17. श्रेष्ठता अपनाये, प्रशंसा के योग्य बने

18. सभ्यता और फैशन के नाम पर विषाक्त भोजन

19. रासायनिक खाद बनाम भूमि की बरबादी

20. भारतीय संस्कृति ही विश्व संस्कृति हैं

21. सनातन सभ्यता का अभ्युदय अत्यन्त सन्निकट

22. देशरक्षा के लिए कर्तव्य निष्ठा की आवश्यकता

23. कुण्डलिनी और गायत्री साधना परस्पर पूरक

24. गुरूदेव और उनकी दिव्य विभूतियाँ

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