मंगलवार, 24 मई 2011

अखण्ड ज्योति अगस्त 1965

1. परमात्म प्रेम से सम्पन्न जीवन ही धन्य हैं

2. भगवान आपके अन्दर सोया हैं, उसे जगाइये

3. अमर हो तुम, अमरत्व को पहचानो

4. सेवा ही सच्ची भगवद्भक्ति हैं

5. गाथा इस देश की गाई विदेशियों ने

6. ब्राह्मणत्व जागेगा तो राष्ट्र जागेगा

7. मनुष्य जीवन की विभूति श्रद्धा

8. मन के हारे हार है, मन के जीते जीत हैं

9. अनासक्ति कर्मयोग का तत्वज्ञान

10. गाय के महत्व को न भूले

11. दुख से डरे नहीं उसका सामना कीजिए

12. धर्म का स्वरूप और उपयोग

13. मधु संचय

14. असन्तुष्ट रहे न विक्षुब्ध, जिन्दगी हँस-हँसकर जिए

15. मन स्वस्थ तो शरीर स्वस्थ

16. शुभकर्म दिखावे के लिए नहीं, अन्तःप्रेरणा से करे

17. समय का सदुपयोग करे, यह अमूल्य हैं

18. बड़ों के सम्मान मे भूल न करे

19. छोटी सी बुराई से भी सावधान रहे

20. आरोग्य रक्षा के तीन प्रहरी

21. बालको का विकास इस तरह होगा

22. युग निर्माण आन्दोलन की प्रगति़

23. समय दान सबके लिए अति सरल हैं

24. आश्विन का शिविर एवं अभ्यास सत्र

25. गीत

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