बुधवार, 28 जुलाई 2010

अन्तिम इच्छा

एक आदमी ने जिन्दगी भर कंजूसी की, उसने काम किया, पैसा कमाया, पर ज्यादा से ज्यादा बचाने में जुटा रहा। इस चक्कर में उसने परिवार की बुनियादी जरूरतों में भी खूब काट छांट की और पर्याप्त धन होते हुए भी उसके बीवी बच्चे अभावो में जीते रहे। जब उसका अंत समय आया, तो उसने अपनी बीवी को बुलाकर कहा - देखो तुम तो जानती हो कि किसी और चीज़ की तुलना में मुझे अपना पैसा सबसे ज्यादा प्यारा है। इसलिए मै चाहता हूँ कि मेरी मौत के बाद तुम सारा पैसा मेरी कब्र में रखवा देना। उसकी बात सुनकर पत्नी को बहुत गुस्सा आया, लेकिन चूंकि वह मर रहा था और मरते आदमी की इच्छा जरूर पूरी की जाती है, इसलिए बीवी ने उसे भरोसा दिलाया कि वह ऐसा ही करेगी।

कुछ समय बाद उस आदमी की मौत हो गई। उसकी बीवी बच्चो ने अन्य सम्बन्धियो को उसकी अन्तिम इच्छा की जानकारी दी। जो लोग उसकी कंजूसी से वाकिफ थे वे दबी जुबान में उसकी इस इच्छा की आलोचना करने लगे। यहाँ तक कि बच्चे भी इस हक़ में नही थे कि सारा पैसा कब्र में रखवा दिया जाए। लेकिन बच्चो की माँ अपने पति की अन्तिम इच्छा पूरी करने पर अडी हुई थी। सबने उसे बहुत समझाया, पर वह नही मानी। इस बीच उसने सारा पैसा इकठ्ठा किया और उसे लेकर कहीं बाहर चली गई और कुछ समय में लौट भी आई।

अब तक अन्तिम संस्कार की सारी तैयारी हो चुकी थी। जब ताबूत को कब्र में उतारा जाने लगा, तो मृतक की पत्नी आगे बढ़ी सभी सोच रहे थे कि वह सारा का सारा पैसा कब्र में डाल देगी। बच्चो के चेहरों पर निराशा थी, तो औरो के चेहरों पर उसके लिए सहानभूति। महिला ने अपना पर्स खोला और उसमे से चेकबुक निकालकर कुछ रकम लिखी, फिर उस चेक को कब्र में डाल दिया और बोली - मैंने तुम्हारी जमापूंजी अपने खाते में जमा कराकर तुम्हारे नाम उस रकम का चेक बना दिया है। यह चेक मै कब्र में छोडे जा रही हूँ, जब भी जरुरत हो कैश करवा लेना।

मजबूरी में मूर्खतापूर्ण वादा करना पड़े, तो उसे पूरा करने का कोई बुद्धिमानी भरा रास्ता खोजना चाहिए!

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