बिच्छू बोला-तुम मुझे पार पर पहुँचा दो, डंक नहीं मारूँगा। कछुए ने कहा-अच्छा ! और बिच्छू को पीठ पर बैठाकर पानी में तैर चला। अभी कुछ ही दूर चला था कि बिच्छू ने डंक मार दिया। कछुए ने पूछा-यह क्या किया ?
बिच्छू बोला- यह तो मेरा स्वभाव हैं। कछुए ने कहा- अच्छा हुआ मैंने अपने को सुरक्षित किया हुआ है, पर तेरे आततायीपन का दंड़ तो तुझे मिलना ही चाहिए।
यह कहकर उसने डुबकी मार ली और बिच्छू पानी में डूबकर मर गया।
अपने दोष ही अंततः विनाशकारी सिद्व होते हैं।
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