सोमवार, 24 अक्टूबर 2011

संयम


महर्षि दयानन्द की बीकानेर महाराज से मित्रता थी। वे अक्सर स्वामी जी से अपने ब्रह्मचर्य की शक्ति के प्रदर्शन की बात कहा करते थे, पर स्वामी जी उसे हँसकर टाल देते थे। एक दिन महाराज चार घोड़ों की बग्घी जोतकर प्रात:भ्रमण के लिए तैयार हुए। कोचवान ने घोड़ों को चलने के लिए बहुतेरा चाबुक फटकारा। घोड़े पूरी ताकत लगाकर बढे, किन्तु एक इंच भी आगे न बढ़ सके। बात क्या है, यह देखने के लिए नरेश ने पीछे मुड़कर देखा तो पाया कि महर्षि ने एक हाथ से बग्घी पकड़ रखी है। वे संयम की इतनी शक्ति देखकर आश्चर्यचकित रह गए।

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