सोमवार, 17 अक्तूबर 2011

वही सिद्ध पुरुष हैं.........

दूसरों से कुछ कराने वाले को स्वयं कुछ करने वाला होना चाहिये। आदर्श की शिक्षा देने वाले को स्वयं आदर्शवादी होना चाहिये। श्रेष्ठता का मार्ग वह हैं जिस पर खुद चलकर ही किसी को चलने की प्रेरणा दी जा सकती हैं उपदेश सरल हैं पर उसे स्वयं हृदयंगम न करके दूसरो के सामने जीवंत उपदेशो की तरह उपस्थित होना कठिन हैं। इस कठिनाई को जो पार कर सके वही सिद्ध पुरुष हैं। आत्मविजय की सिद्धि जिसने प्राप्त कर ली, उसके लिए लोकविजय का मार्ग कुछ कठिन नही रह जाता है।

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