1) सत्य के लिए सहना ही तप है।
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2) सत्य के सूर्य को कभी असत्य के बादल नहीं ढक सकते।
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3) सत्य मेरी माता हैं, ज्ञान पिता हैं, धर्म भाई है, दया मित्र हैं, शान्ति स्त्री हैं और क्षमा पुत्र हैं। ये छः मेरे बान्धव है।-------------
4) सत्य परायण मनुष्य किसी से घृणा नहीं करता है।-------------
5) सत्य सरल और असत्य कठिन होता है।-------------
6) सत्य तक वे लोग पहुचते हैं, जो सरल हैं, निश्छल हैं और शुद्ध भाव से प्रयत्न करते है।-------------
7) सत्य अकेला नहीं प्रेम और न्याय को भी साथ लेकर चलता है। उसी प्रकार असत्य के साथ पतन और विग्रह के सहचरों की जोडी चलती है।-------------
8) सत्य, प्रिय, मधुर, अल्प और हितकर भाषण कीजिये।-------------
9) सतयुग अब आयेगा कब, बहुमत जब चाहेगा तब।-------------
10) सत्-मार्ग के पथिक बनो।-------------
11) सत्कर्मों में डूबे रहना ही सही अर्थों में जिंदगी से प्यार करते रहना है।-------------
12) सत्कर्म की प्रेरणा देने से बढकर और कोई पुण्य हो ही नहीं सकता।-------------
13) सत्कर्म, सत्चर्चा, सच्चिन्तन और सत्संग- ये चार उत्तरोत्तर श्रेष्ठ साधन है।-------------
14) सतसंग का मतलब हैं-सत्य से गहरा सानिध्य।-------------
15) सत्संग जीवन का कल्प वृक्ष है।-------------
16) सत्संग अध्यात्म विद्या का विद्यालय है।-------------
17) सतत् आत्मनिरीक्षण अर्थात् प्राप्त विवेक के प्रकाश में अपने दोषों को देखना चाहिये।-------------
18) सेवा धर्म के साथ शालीनता का समन्वय रहना चाहिये।-------------
19) सेवा करके भूल जाओ।-------------
20) सेवा ही वह सीमेंट हैं जो लोगों को जीवन पर्यन्त स्नेह और साहचर्य में जोड़े रख सकती हैं।-------------
21) सेवा भाव से सन्तोष बढता हैं और अहसान के भाव से अहंकार पनपता है।-------------
22) सज्जन का मौन दुर्जन के दुष्कर्मो से ज्यादा खतरनाक है।-------------
23) सज्जन अमीरी में गरीब जैसे नम्र और गरीबी में अमीर जैसे उदार रहते है।-------------
24) सज्जनता मनुष्यता का ही दूसरा नाम है।-------------
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