गायत्री परिवार के जनक पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा गायत्री तीर्थ शांतिकुंज, हरिद्वार में दिये गये प्रवचनों में से एक है-
मनुज देवता बने, बने यह धरती स्वर्ग समान।
गायत्री मंत्र हमारे साथ-साथ
ऊँ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
देवियो! भाइयो!!
देवता देते तो हैं, इसमें कोई शक नहीं है। अगर वे देते न होते, तो उनका नाम देवता न रखा गया होता। देवता का अर्थ ही होता है-देने वाला। देने वाले से अगर माँगने वाला कुछ माँगता है, तो कोई बेजा बात नहीं है, पर विचार करना पड़ेगा कि आखिर देवता देते क्या चीज हैं? देवता वही चीज देते हैं, जो उनके पास है। जिसके पास जो चीज होगी, वही तो दे पाएगा। देवता के पास सिर्फ एक चीज है और उसका नाम है-देवत्व। देवत्व कहते हैं- गुण, कर्म और स्वभाव-तीनों की अच्छाई को, श्रेष्ठता को। इतना देने के बाद में देवता निश्चिन्त हो जाते हैं, निवृत्त हो जाते हैं और कहते हैं कि जो हम आपको दे सकते थे, हमने वह दे दिया। अब आपका काम है कि जो चीज हमने दी है, उसको जहाँ भी आप मुनासिब समझें, वहाँ इस्तेमाल करें और उसी किस्म की सफलता पाएँ।
दुनिया में सफलता एक चीज के बदले में मिलती है और वह है- आदमी का उत्कृष्ट व्यक्तित्व। इससे कम में कोई चीज नहीं मिल सकती। अगर कहीं से किसी ने घटिया व्यक्तित्व की कीमत पर किसी तरीके से अपने सिक्के को भुनाए बिना, अपनी योग्यता का सबूत दिये बिना, परिश्रम के बिना, गुणों के अभाव में, कोई चीज प्राप्त कर ली है, तो वह उसके पास ठहरेगी नहीं। शरीर में हजम करने की ताकत न हो, तो जो खुराक आपने खाई है, वह आपको हैरान करेगी, परेशान करेगी। इसी तरह सम्पत्तियों को, सुविधाओं को हजम करने के लिए गुणों का माद्दा नहीं होगा, तो वे आपको तंग करेंगी, परेशान करेंगी। अगर गुण नहीं है, तो जैसे-जैसे दौलत बढ़ती जाएगी, वैसे-वैसे आपके अन्दर दोष-दुर्गुण बढ़ते जाएँगे, व्यसन बढ़ते जाएँगे, अहंकार बढ़ता जाएगा और आपकी जिन्दगी को तबाह कर देगा।
देवता क्या देते हैं? देवता हजम करने की ताकत देते हैं। जो दुनियाबी दौलत या जिन चीजों को आप माँगते हैं, जो आपकी खुशी का बायस मालूम पड़ती है, उन सारी चीजों को हजम करने के लिए विशेषता होनी चाहिए। इसी का नाम है-देवत्व। देवत्व अगर प्राप्त हो जाता है, तो फिर आप दुनिया की हर चीज से, थोड़ी से थीड़ी चीजों को लेकर फायदा उठा सकते हैं। अगर वे न भी हों, तो भी काम चल सकता है। ज्यादा चीजें हो जाएँ, तो भी अच्छा है, यदि न हो जाएँ, तो भी कोई हर्ज नहीं है, लेकिन अगर आप इस बात के लिए उतावले हैं कि जैसे भी हम पिछड़े हैं, वैसे ही बने रहें, तो फिर कुछ कहना संभव नहीं है। मनुष्य के शरीर में ताकत होनी चाहिए, लेकिन समझदारी का नियंत्रण न होने से आग में घी डालने, ईंधन डालने के तरीके से वह सिर्फ दुनिया में मुसीबतें पैदा करेंगी। देवता किसी को दौलत देने की गलती नहीं कर सकते। अगर देते हैं, तो इसका मतलब है कि तबाही कर रहे हैं। इनसानियत उस चीज का नाम है, जिसमें आदमी का चिंतन, दृष्टिकोण, महत्त्वाकांक्षाएँ और गतिविधियाँ ऊँचे स्तर की हो जाती हैं। इनसानियत एक बड़ी चीज है।
मनोकामनाएँ पूरी करना खराब बात नहीं है, पर शर्त एक ही है कि यह किस काम के लिए, किस चीज के लिए माँगी गई है? अगर सांसारिकता के लिए माँगी गयी है, तो उससे पहले यह जानना जरूरी है कि उस दौलत को हजम कैसे कर सकते हैं? उसे खर्च कैसे कर सकते हैं? मनुष्य भूल कर सकता है, पर देवता भूल नहीं कर सकते। देवता आपको वे चीजें नहीं दे सकते, जैसा कि आप चाहते हैं। देवताओं के सम्पर्क में आने वाले को भौतिक वस्तुएँ नहीं मिलीं। क्या मिला है? आदमी को गुण मिले हैं, देवत्व मिला है। सद्गुणों के आधार पर आदमी को विकास करने का मौका मिला है। गुणों के विकसित होने के पश्चात् उन्होंने वह काम किए हैं, जिन्हें सामान्य बुद्धि से काम करते हुए नहीं कर सकता। देवत्व के विकसित होने पर कोई भी उन्नति के शिखर पर जा - पहुँच सकता है, चाहे वह सांसारिक हो अथवा आध्यात्मिक। संसार और अध्यात्म में कोई फर्क नहीं पड़ता। गुणों के इस्तेमाल करने का तरीका भर है। गुण अपने आप में शक्ति के पुंज हैं, कर्म अपने आप में शक्ति पुंज है और स्वभाव अपने आप में शक्ति के पुंज हैं। इन्हें कहाँ इस्तेमाल करना चाहते हैं, यह आपकी इच्छा की बात है। जिससे इस कार्य में सफलता पा ली, मानों उसे सब कुछ मिल गया। उसका जीवन देवतुल्य बन गया और जहाँ देवता निवास करते हैं, वह स्थान स्वर्ग ही कहा जायेगा। वहाँ के रहने वालों का जीवन हँसी-खुशी से भरा-पुरा रहता है।
-डॉ. प्रणव पण्ड्या
यह संकलन हमें श्री अंकित अग्रवाल, रूद्रपुर ( नैनीताल ) से प्राप्त हुआ हैं। धन्यवाद। यदि आपके पास भी जनमानस का परिष्कार करने के लिए संकलन हो तो आप भी हमें मेल द्वारा प्रेषित करें। उसे अपने इस ब्लाग में प्रकाशित किया जायेगा। आपका यह प्रयास ‘‘युग निर्माण योजना’’ के लिए महत्त्वपूर्ण कदम होगा।
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