----------------------
2) भोजन करके करिये मूत्र, गुर्दा स्वस्थ रहे ये सूत्र।
----------------------
3) भोजन स्वास्थ्य की जरुरत हैं, स्वाद की नहीं।
----------------------
4) पैरो को धाने के बाद ही भोजन करें , किन्तु पैरो को धोकर ( गीले पैर ) शयन न करे।
----------------------
5) दाहिने स्वर भोजन करें, बॉये पीवे नीर। ऐसा संयम जब करे, सुखी रहें शरीर।
----------------------
6) दूसरों से पूर्व भोजन समाप्त कर उठों नही, और यदि उठ जाये तो उनसे क्षमा मॉगनी चाहिये।
----------------------
7) जो अपने हिस्से का काम किये बिना ही भोजन पाते हैं वे चोर है।
----------------------
8) आधा भोजन दुगुना पानी, तिगुना श्रम, चौगुनी मुस्कान।
----------------------
9) हे पुरुष श्रेष्ठ ! खाते हुये कभी भी शंका न करें ( कि यह अन्न मुझे पचेगा या नही )
----------------------
10) जैसा अन्न खाते हैं, मन बुद्धि का निर्माण भी वैसा ही होता है।
----------------------
11) प्राणी नित्य जैसा अन्न खाता हैं, उसकी वैसी ही सन्तति होती है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें