कर्म के साथ भावना को भी जोडें
दिनभर लोहा पीटने वाले लुहार की अपेक्षा अखाड़े में दो घण्टे कसरत करने वाला पहलवान अधिक परिपुष्ट पाया जाता है । इसका कारण व्यायाम के साथ जुड़ी हुई उत्साहवर्द्धक भावना है । कसरत करते समय यह मान्यता रहती है कि हम स्वास्थ्य साधना कर रहे हैं और इस आस्था का मनोवैज्ञानिक असर ऐसा चमत्कारी होता है कि देह ही परिपुष्ट नहीं होती, मन की हिम्मत तथा सशक्तता भी बहुत बढ़ जाती है ।
-पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
युग निर्माण योजना - दर्शन, स्वरूप व कार्यक्रम-६६ (६.९६)
Combine Emotions with Action
A wrestler who devotes 2-3 hours daily in the Gymnasium is more stronger than a blacksmith who threshes & beats iron for many hours regularly. Enthusiasm to build a body is a reason behind such results. We think of good health during exercise and this affects our psychology and not only our body but our mind also gets strengthened.
-Pt. Shriram Sharma Acharya
Translated from - Pandit Shriram Sharma Acharya’s work
YUG NIRMAN YOJANA – DARSHAN, SWAROOP AND KARYAKRAM – 66 (6.96)
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