शनिवार, 15 अक्टूबर 2011

कार्य प्रवृत्तियों व अभिरुचियों के अनुरूप हो सकता हैं

जहॉं कुछ लोग उपासनात्मक विचारधारा के हैं वे संगठित होकर इस कार्य-प्रणाली को चलाते रह सकते हैं और अपने संगठन का नाम गायत्री परिवार रख सकते हैं । जिन्हें उपासना में अधिक रूचि नहीं, समाज सेवा के कार्यों तक ही जिनकी अभिरुचि है, जो प्रचारात्मक स्तर से आगे बढक़र कुछ रचनात्मक कार्य करने या आन्दोलनात्मक कार्य चलाने की स्थिति है वे वैसा भी कर सकते हैं । वे युग-निर्माण योजना के नाम से भी अपना संगठन बना सकते हैं ।

-पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
युग निर्माण योजना - दर्शन, स्वरूप व कार्यक्रम-६६ (३.९

Actions should be infused with personal passion and genuine interest

Those who believe in prayer and meditation can very well form spiritual groups that celebrate spirituality via promoting prayer and meditation: they can freely use the term "Gayatri Pariwar" (Gayatri Family) for such communities. Formative and social-action oriented activities will be more suitable to those who are less inclined toward meditation and more inclined toward social service and volunteer work. These communities may aptly be called "Yug Nirman Yojanas" (Era Transformation Programme)." 

-Pt. Shriram Sharma Acharya
Translated from - Pandit Shriram Sharma Acharya’s work
Yug Nirman Yojana- Darshan, swaroop, va Karyakrma- 66 (3.9)

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