शनिवार, 15 अक्तूबर 2011

विचार शक्ति ही भाग्य रेखा

कहा जाता है कि खोपड़ी में मनुष्य का भाग्य लिखा रहता है । इस भाग्य को ही कर्म लेख भी कहते हैं । मस्तिष्क में रहने वाले विचार ही जीवन का स्वरूप निर्धारित करने और सम्भावनाओं का ताना-बाना बुनते हैं । इसलिए प्रकारान्तर से भी यह बात सही है कि भाग्य का लेखा-जोखा कपाल में लिखा रहता है । कपाल अर्थात् मस्तिष्क । मस्तिष्क अर्थात् विचार । अत: मानस शास्त्र के आचार्यों ने उचित ही संकेत किया है कि भाग्य का आधार हमारी विचार पद्धति ही हो सकती है । विचारों की प्रेरणा और दिशा अपने अनुरूप कर्म करा लेती है । इसलिए भाग्य का लेखा-जोखा कपाल में लिखा रहता है, जैसी भाषा का प्रयोग पुरातन ग्रंथ से करते हुए भी तथ्य यही प्रकट होता है कि कर्तृत्व अनायास ही नहीं बन पड़ता, उसकी पृष्ठभूमि विचार शैली के अनुसार धीरे-धीरे मुद्दतों में बन पाती है ।

-पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
युग निर्माण योजना - दर्शन, स्वरूप व कार्यक्रम-६६ (६.४९)


Power of Thoughts: the Only Creator of Destiny
It is said that a man’s destiny is written in his head. This destiny is called the blueprint of the future. Only thoughts determine the shape of future life and materialize the possibilities. So, any way we think, it is true that plans for all actions are first created in the forehead only! Forehead means brain, and brain means mind or the thought process. Hence, the preachers of psychology are right in indicating that our future is based upon the style of our thinking. The line of thought and its influence compels one to act accordingly. Therefore, whatever language our scriptures use, the final truth they reveal is, the action is never performed automatically. Its background is always gradually, slowly prepared over a long period of time according to the thought process. 

-Pt. Shriram Sharma Acharya
Translated from - Pandit Shriram Sharma Acharya’s work
Yug Nirman Yojana – The Vision, Structure and the Program – 66 (6.49)

कोई टिप्पणी नहीं:

LinkWithin

Blog Widget by LinkWithin