शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2011

सबसे बडी सफलता सद्बुद्धि को प्राप्त करना...

1) जहाँ विचारों का सम्मान न हो और सत्य अप्रिय लगे, वहाँ मौन साध लो।
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2) जहाँ प्रेम हैं, वहाँ सत्ययुग हैं। जहाँ कलह हैं, वहाँ कलियुग है।
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3) जहाँ शासक चरित्र विहीन, वहाँ आपदा नित्य नवीन।
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4) जहाँ स्थूल जीवन का स्वार्थ समाप्त होता हैं, वहीं मनुष्यता प्रारम्भ होती है।
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5) जहाँ सच्चा प्रेम हैं- वहाँ त्याग, उत्सर्ग और बलिदान की भावना होना अनिवार्य है।
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6) जहाँ से विनम्रता हटती हैं, सहज ही वहाँ से प्रभु की अनुकम्पा समाप्त हो जाती है।
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7) जहाँ व्यक्ति का मिथ्या अहंकार समाप्त हो जाता हैं, वहीं उसकी गरिमा आरम्भ होती है।
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8) जहाँ व्याख्यानदाता बहुत हो वहाँ जहाँ तक हो व्याख्यान न दो।
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9) जहाँ नहीं हैं सत्य विचार, वहाँ व्यर्थ धन का भण्डार।
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10) जहाँ नदी गहरी होती हैं, वहाँ जल प्रवाह शान्त और गम्भीर होता है। 
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11) जीवन एक पुष्प हैं और प्रेम उसका मधु।
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12) जीवन एक नाटक हैं, यदि हम इसके कथानक को समझ ले तो सदैव प्रसन्न रह सकते है।
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13) जीवन बहुमूल्य हैं, उसे निरर्थक प्रयोजनों के लिये खर्च मत करो।
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14) जीवन बहुत तथ्य जानने से नहीं, बल्कि सत्य की एक छोटी सी अनुभूति से ही बदल जाता है।
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15) जीवन की मंजिल पर रो-रो कर चलना पौरुष का अपमान है।
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16) जीवन की हार और जीत को भी खेल समझ कर खेले।
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17) जीवन की सबसे बडी सफलता सद्बुद्धि को प्राप्त करना है।
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18) जीवन की सभी आवश्यकताओं के लिये परमात्मा पर्याप्त है।
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19) जीवन का सच्चा सदुपयोग ही जीवन का महामन्त्र है।
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20) जीवन को नियम के अधीन कर देना आलस्य पर विजय पाना है।
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21) जीवन को वही समझता हैं जो प्रेम करता हैं और दान करता है।
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22) जीवन के क्रियाकलाप बाहरी अनुशासन के बजाय आत्मानुशासन द्वारा संचालित होने चाहिये।
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23) जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं , एक वे जो सोचते हैं, पर करते नहीं। दूसरे वे जो करते हैं पर सोचते नहीं।
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24) जीवन में नींद न हो तो मनुष्य रोता-रोता मर जाए। मनुष्य के सोने से उसकी पीड़ा भी कुछ देर को सो जाती है।

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