बुधवार, 15 जून 2011

अखण्ड ज्योति अप्रेल 1985

1. आत्मा और परमात्मा की एकता

2. सौभाग्य सुयोग का आरम्भ

3. तीन जन्मों का सम्बन्ध-इस जन्म का समर्पण

4. मार्गदर्शक द्वारा चार हिमालय यात्राओं का निर्देश

5. तीनों कार्यक्रमों का प्राणप्रण से निर्वाह

6. सफलताओं के कुछ रहस्य सूत्र

7. प्रथम बुलावा-पग-पग पर खतरे

8. हिमालय की कन्दराओं में ऋषि सत्ता से साक्षात्कार

9. आमन्त्रण का प्रयोजन एवं भावी रूपरेखा का स्पष्टीकरण

10. दो मनों के मल्लयुद्ध में उत्कृष्ट की विजय

11. अध्यात्म का ध्रुव केन्द्र-देवात्मा हिमालय

12. द्वितीय हिमालय यात्रा एवं मथुरा के लिए प्रयाण

13. मथुरा के कुछ रहस्यमय प्रसंग

14. मथुरा का विचार क्रान्ति अभियान एवं प्रयाण की तैयारी

15. तीसरी हिमालय यात्रा-ऋषि परम्परा का बीजारोपण

16. शान्ति-कुंज-गायत्री तीर्थ

17. ऋषियों की पुरातन योजनाओं का शुभारम्भ एवं क्रियान्वयन

18. हमने जीवन भर बोया एवं काटा

19. चैथा एवं अन्तिम निर्देशन

20. वीरभद्र यह करने में जुटेंगे

21. यह भयावह घटाटोप तिरोहित होगा

22. नवयुग का आगमन अति निकट हैं

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