बुधवार, 15 जून 2011

अखण्ड ज्योति मार्च 1985

1. याचना नहीं प्रार्थना

2. सत्य को विवेक की कसोटी पर कसा जाय

3. भगवान की समीपता और अनुकम्पा

4. ईश्वर का अनुग्रह तपस्वी के लिए

5. धर्म और तत्वदर्शन की पृष्ठभूमि

6. आत्मिक ऊर्जा उत्पादन के लिए अनवरत संघर्ष

7. खाली हूजिये, आप लबालब भर जायेंगे

8. दर्शन को भ्रष्ट न किया जाय

9. आध्यात्मिकता बनाम यथार्थता

10. धर्म की उपेक्षा अवमानना क्यों ?

11. आत्मबोध का अभाव ही खिन्नता

12. जीवन दर्शन की विविध धारायें

13. मानव के परिष्कार एवं उत्कर्ष की भावी सम्भावनाएँ

14. ‘‘तन्त्र विज्ञान’’ अलौकिक क्षमताओं से भरी-पूरी विधा

15. नियामक सत्ता के सुनियोजित क्रिया-कलाप

16. समष्टि एवं व्यष्टि में संव्यापत एकरूपता

17. मनुष्य हर परिस्थिति में ढल सकता हैं

18. विलक्षण विभूतियों से सम्पन्न यह जीव जगत

19. तृतीय नेत्र की दिव्य क्षमता

20. अभिशप्त यान, वाहन एवं भवन

21. भीतर वाले को सही करे

22. अन्तरिक्षीय आवागमन की सम्भावनाएँ

23. नादयोग की साधना और सिद्धि

24. बीसवी सदी के समाज की एक विडम्बना भरी कहानी

25. क्या तीसरा युद्ध सन् 1985 में होगा ?

26. भगवद् भक्ति में दुराग्रह कैसा ?

27. विधेयात्मक चिन्तन और स्वास्थ्य सुधार

28. चमत्कारों से युक्त यह जीवन क्रम एवं उसका मर्म

29. विभीषिकाओं की काली घटाएं बरसने न पायेंगी


30. अन्तः में प्रतिष्ठित आनन्द की गंगोत्री

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