बुधवार, 15 जून 2011

अखण्ड ज्योति अक्टूबर 1984

1. परमात्मा की आनन्दमयी सत्ता

2. ‘‘क्षण भंगुर जीवन का दुरूपयोग न हो’’

3. सूक्ष्मीकरण की अनेक गुनी सामर्थ्य

4. पाँच क्षमताएँ पाँच प्रयोगों के लिए

5. शानदार प्रजनन जो इन्ही दिनों हो रहा हैं

6. एकान्त साधना में विक्षेप न किया जाय

7. ‘‘यह अकथ कथा हैं, कहता कही न जाई’’

8. भारतीय तत्वदर्शन पलायनवादी नहीं

9. कलाकारिता सराहनीय है

10. सच्चा स्वार्थ पहचानना और अपनाना ही बुद्धिमता हैं

11. भावना प्राण-क्रिया कलेवर

12. शरीर को देव मन्दिर बनायें

13. उपासना का मनोविज्ञान समझे, भटकाव से बचें

14. परिवर्तित जीवन जीने वाले-सन्त फजील

15. मन्त्र शक्ति का चमत्कारी प्रतिफल

16. पुनर्जन्म एक सच्चाई, भले ही दुराग्रही उसे न माने

17. आदमी या साँप का भूत

18. मस्तिष्कीय अन्तराल का रहस्यमय संसार

19. एक अद्भुत व्यक्तित्व-हस्तरेखा विशेषज्ञ-कीरो

20. मनुष्येत्तर प्राणियों का विकसित संसार

21. वहम की बीमारी और उसका इलाज

22. कुत्सा भड़काने वाली अश्लीलता को मिटाया जाय

23. ज्योतिर्विज्ञान को न्यूनता का चोला पहनाया जाय

24. नाचता सूर्य-जो सत्तर हजार ने देखा

25. अन्तर्ग्रही प्रभावों से आत्मरक्षा कैसे करें ?

26. सज्जनता ही नहीं, साहसिकता भी

27. गायत्री जप का वैज्ञानिक आधार

28. बुढ़ापा, जवानी से कम सुखद नहीं

29. वर्णाश्रम धर्म और उसकी दुर्गति

30. आस्तिक बनाम नास्तिक

31. सूक्ष्म सम्पर्क की महान् परिणतियाँ

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