1. वैभव ही नहीं विवेक भी
2. वास्तविक प्रगति आकांक्षाओं के परिष्कार पर निर्भर
3. आनन्द की गंगोत्री अपने ही भीतर
4. पृथकता के अन्तराल में एकत्व का सत्य
5. योगी अरविन्द का पूर्ण योग
6. विचार-एक अद्भुत प्रचण्ड शक्ति स्त्रोत
7. विचार शक्ति का पेड़-पौधों पर प्रभाव
8. विज्ञान को अध्यात्म के साथ मिलना होगा
9. नर और मादा का विभेद अकाट्य नहीं परिवर्तनशील हैं
10. लोक-लोकान्तरों का पारस्परिक आदान-प्रदान
11. मनुष्य आदिम काल में भी बुद्धिमान था
12. प्राण विद्युत की चमत्कारी कार्य क्षमता
13. मस्तिष्क मे स्मरण क्षमता का विपुल भाण्डागार
14. मरण के उपरान्त पुनर्जन्म सुनिश्चित
15. स्वस्थ जीवन के पाँच स्वर्णिम सूत्र
16. चिकित्सक का ही नहीं पुरोहित का भी परामर्श माने
17. विश्व प्राण और व्यष्टि प्राण का सुयोग-संयोग
18. पाँच अग्नियों के पाँच आवरण, पाँच कोष
19. आत्मसत्ता में प्राणसत्ता की अवधारणा
20. अपनो से अपनी बात-वह-जो प्राणवानो को इन्ही दिनों करना है
21. प्रज्ञा सम्मेलनों का आयोजन और संचालन एक और महत्वपूर्ण दायित्व
2. वास्तविक प्रगति आकांक्षाओं के परिष्कार पर निर्भर
3. आनन्द की गंगोत्री अपने ही भीतर
4. पृथकता के अन्तराल में एकत्व का सत्य
5. योगी अरविन्द का पूर्ण योग
6. विचार-एक अद्भुत प्रचण्ड शक्ति स्त्रोत
7. विचार शक्ति का पेड़-पौधों पर प्रभाव
8. विज्ञान को अध्यात्म के साथ मिलना होगा
9. नर और मादा का विभेद अकाट्य नहीं परिवर्तनशील हैं
10. लोक-लोकान्तरों का पारस्परिक आदान-प्रदान
11. मनुष्य आदिम काल में भी बुद्धिमान था
12. प्राण विद्युत की चमत्कारी कार्य क्षमता
13. मस्तिष्क मे स्मरण क्षमता का विपुल भाण्डागार
14. मरण के उपरान्त पुनर्जन्म सुनिश्चित
15. स्वस्थ जीवन के पाँच स्वर्णिम सूत्र
16. चिकित्सक का ही नहीं पुरोहित का भी परामर्श माने
17. विश्व प्राण और व्यष्टि प्राण का सुयोग-संयोग
18. पाँच अग्नियों के पाँच आवरण, पाँच कोष
19. आत्मसत्ता में प्राणसत्ता की अवधारणा
20. अपनो से अपनी बात-वह-जो प्राणवानो को इन्ही दिनों करना है
21. प्रज्ञा सम्मेलनों का आयोजन और संचालन एक और महत्वपूर्ण दायित्व
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