रविवार, 12 जून 2011

अखण्ड ज्योति मई 1982

1. विराट् का सम्बोधन

2. खिलाकर खाना-ब्रह्म रहस्य

3. अन्तराल की सम्पदा खोज निकालने का उपयुक्त समय

4. परिपक्व और परिष्कृत व्यक्तित्च के सूत्र

5. उच्चस्तरीय सहयोग किस मूल्य पर खरीदें

6. स्नेह सहकार का आदान-प्रदान

7. अब विज्ञान उतना नास्तिक नहीं रहा

8. शाश्वत सत्य का दर्शन

9. समुन्नत व्यक्तित्व बनाने के लिए ‘जेनेटिक इन्जीनियरिंग’ का उपयोग

10. अहंकारो बाध्यते लक्ष्यः

11. इस ब्रह्माण्ड में अनेको जीवन युक्त ग्रह पिण्ड

12. धरती से लोक लोकान्तरों का आवागमन मार्ग

13. विलक्षणताओं से भरी हमारी पृथ्वी

14. किमाश्चर्यमतः परम् ?

15. कुकृत्यों से वस्तुएँ भी अभिशप्त होती हैं

16. जीवन यज्ञ और उसके तीन अनुशासन

17. यज्ञाग्नि और सामान्य अग्नि का अन्तर

18. यज्ञ चिकित्सा और आधि-व्याधि निवारण

19. ज्योतिष विज्ञान उपेक्षणीय नहीं हैं

20. अन्तरीक्षिय परिस्थितियों का धरा द्वारा पर प्रभाव

21. ज्योतिर्विज्ञान मात्र भौतिकी तक सीमित नहीं हैं

22. अपनो से अपनी बात

23. प्रज्ञा परिजन के पाँच-पाँच दिवसीय तीर्थ सत्र

24. प्रज्ञापुत्रों के कल्प साधना सत्र

25. नव-सृष्टि सृजन

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