रविवार, 12 जून 2011

अखण्ड ज्योति अप्रेल 1981

1. हम सब उनके पुत्र

2. नैतिकता का सम्बन्ध धर्म धारणा से

3. सिद्ध न होना ही चेतना का प्रमाण

4. निष्काम की कामना

5. दीप्तिमान आत्मसूर्य की विलक्षण सामर्थ्य

6. ब्रह्मसत्ता की तीन मूल शक्तियाँ त्रिदेव

7. जन सहयोग की सम्पदा

8. आत्म-विस्तार की प्रकृति प्रेरणा

9. हिंसा पर साहस की विजय

10. मरणोत्तर जीवन के लिए चुनाव की स्वतन्त्रता

11. प्रेतात्माओं का अस्तित्व काल्पनिक नहीं

12. गतिशीलता विश्व व्यवस्था की चिरन्तन नीति

13. समर्थता, गरिमा से युक्त होती हैं

14. स्वास्थ्य का आधार आहार नहीं, मस्तिष्क

15. असन्तुलन और विक्षेप सर्वथा अहितकर

16. उचित से अधिक की आकांक्षा मत कीजिए

17. आध्यात्मिक चिकित्सा, विज्ञान की कसौटी पर

18. आत्मशक्ति अभिवर्द्धन का श्रेष्ठतम उपाय-गायत्री

19. गायत्री सिद्धि के मूलभूत आधार

20. कुण्डलिनी का ज्योति दर्शन

21. परिव्राजक का बचन

22. नादयोग और शब्द ब्रह्म की साधना

23. अग्निहोत्र अर्थात् प्राणोद्धीपन

24. महाकाल का गतिचक्र और अनुशासन

25. अपनो से अपनी बात

26. विशिष्ट विभूतिवान इन कार्यों में सहयोग दे

27. अगर हम समय पर जाग पायें

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