शुक्रवार, 3 जुलाई 2009

मनुष्य

1) चिन्ताशील व्यक्ति खाली और खोखले होते हैं, तथा चिन्तनशील व्यक्ति खरे और स्वस्थ होते है।
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2) चिन्तन की उत्कृष्टता-निकृष्टता के आधार पर ही व्यक्ति देव और असुर बनता है।
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3) जिसे सीखने की भूख हैं वह प्रत्येक व्यक्ति और घटना से सीख लेता है।
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4) निखरा व्यक्तित्व अनायास ही आवश्यक साधन-सुविधा एवं सहायता दबोच लेता है।
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5) हर महान् व्यक्तित्व को प्रकृति ने आपदाओ और विषमताओं की छेनी-हथौडी से उन्हे गढा-निखारा और संवारा है।
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6) हर व्यक्ति की विशेषताओं को देखे और अपनी कमजोरियों को दूर करे।
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7) भूले वे हैं जो अपराध की श्रेणी में नहीं आती, पर व्यक्ति के विकास में बाधक है।
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8) पूर्णत: भले व्यक्ति सिर्फ दो हैं, एक वह जो मर गया और दूसरा वह जो अभी पैदा नहीं हुआ।
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9) प्राचीन समय में जब धरती का वातावरण सतयुगी था तो प्रत्येक व्यक्ति उत्कृष्ट चिन्तन और श्रेष्ठ आचरण वाला ऋषि पैदा हुआ करता था। तब उनकी जनसंख्या तैतीस करोड थी। इसी कारण कर्मकाण्डो में तैंतीस कोटि देवताओं के रुप में आज भी उनका आवाहन और स्थापन किया जाता हैं।

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10) प्रसन्नचित्त व्यक्ति अधिक जीते है।

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11) शब्द व्यक्ति की दरिद्रता को दर्शाते हैं, जबकि नि:शब्द अवस्था उसके अन्त:करण की महानता का द्योतक है।
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12) संसार में किसी भी व्यक्ति की बाहरी क्रिया को देखकर कृपया निर्णय मत करना वरना तुम उस व्यक्ति के अपराधी बन जाओगे।
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13) सद्भावना रखने वाला व्यक्ति सबसे भाग्यवान है।
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14) उत्तम व्यक्ति की यह खासियत होती हैं कि वे किसी कार्य को अधुरा नहीं छोड़ते।
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15) दूषित अन्त:करण का व्यक्ति चिन्ता की कालिमा से कलंकित रहता है।
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16) व्यक्ति की तीन तस्वीरे हैं (1)लोग उसे किस रुप में समझते हैं।(2)वह किस रुप में जीता हैं।(3)वह किस रुप में अपने आपको प्रस्तुत करता हैं। तीना चित्रों में से पहला मान्यता का हैं, दूसरा यथार्थ का हैं और तीसरा अयथार्थ का है।
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17) व्यक्ति के व्यवहार के यथार्थ कारण उसकी आंतरिक गहराइयों में छिपे होते है। व्यवहार की यदि जडें ढूंढनी हो तो निश्चित ही व्यक्ति के चरित्र एवं चिंतन की मिट्टी की परतों को खोदना होगा। चरित्र एवं चिंतन को सही ढंग से जाने बगैर व्यवहार की समग्र व्याख्या असंभव हैं।
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18) व्यक्तित्व की गरिमा आत्मिक महानता पर निर्भर है।
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19) व्यक्तित्व का प्रचार मत करो।
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20) जो व्यक्ति दूसरों का भला चाहता हैं उसने अपना भला पहले ही कर लिया।
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21) जो व्यक्ति अपने रहस्य को छिपाये रखता हैं, वह अपनी कुशलता अपने हाथ तें रखता है।
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22) अपने कल्याण के इच्छुक व्यक्ति को बुधवार व शुक्रवार के अतिरिक्त अन्य दिनो में क्षौर कर्म नहीं करना चाहिए।
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23) आस्थाहीनता व्यक्ति को अपराध की ओर ले जाती है।
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24) आदमी वह ठीक हैं जिसका इरादा ठीक है।

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