आज देश के सामने कोई समस्या आती है तो बरबस मुँह से निकल पड़ता है-`काश ! आज सरदार पटेल जीवित होते ।´ जर्मनी के एकीकरण में जो भूमिका विस्मार्क ने और जापान के एकीकरण में जो कार्य मिकाडो ने किया , उनसे बढकर सरदार पटेल का कार्य कहा जायेगा, जिनने भारत जैसे उपमहाद्वीप को, विभाजन की आँधी में टुकड़े-टुकड़े होने से रोका । किस प्रकार देशी राज्यों का एकीकरण संभव हो सका । इस पर विचार करते है तो आश्चर्य होता है । एक-दो नहीं, सैकड़ो राजा भारतवर्ष में विद्यमान थे। उनका एकीकरण सरदार पटेल जैसा कुशल नीतिज्ञ ही कर सकता था। इसी कारण उन्हें लौहपुरुष कहा जाता है। आज राष्ट्र वैसी ही परिस्थिति से गुजर रहा है। हमें फिर वैसी ही , उसी स्तर की जिजीविशा वाली शक्तियो की जरुरत है।
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें