रैदास की एक बार इच्छा हुई कि वे चितौड़ की रानी झाली के यहाँ जाएँ , जिसने काशीवास में आमंत्रण दिया था। संत के आने पर एक भंडारा हुआ। सभी विद्वज्जनो को आमंत्रण गया। एक अछूत चमड़ा गाँठने वाले का इतना सम्मान देख ब्राह्मणो ने यह निर्णय लिया कि आवश्वक खाद्य सामग्री लेकर वे स्वयं भोजन बनाएँगे। जब वे अलग से भोजन करने बैठे तो देखा कि हर ब्राह्मण पंड़ित की बगल में एक रैदास बैठे हैं। सभी रैदास के चरणो में गिर पड़े और क्षमा माँगी ।
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
2 टिप्पणियां:
छूआ- छूत हिन्दु ( वैदिक ) धर्म पर एक कलंक के समान है । इसे समूल नष्ट करना परम आवश्यक है ।
पँडित राकेश आर्य
ग्रा ॰ - दतियाना
मुजफ्फर नगर
उत्तर प्रदेश
08950108708
Vastava main chhua-chhut ek bimar soch hai.Ise se upar uth kar manviya byawhar hi karm-sadhna kahlayega.
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