बुधवार, 24 जून 2009

जीवन

1) उतावलापन जीवन को असफल बनाने वाला एक भयंकर खतरा है।
***********
2) व्यावहारिक जीवन की उलझनों का समाधान किन्ही नयी कल्पनाओं में ही मिलेगा, उन्हें ढूँढौ ।
***********
3) तृष्णा मनुष्य जीवन की सबसे नीची तह हैं, इससे नीचे कोई उतर नहीं सकता।
***********
4) तात्कालिक लाभ की पूर्ति में जीवन जीना कलियुग है।
***********
5) जब आप अपने जीवन का महत्व समझेंगे तो दूसरे भी आपको महत्व देंगे।
***********
6) जहॉं स्थूल जीवन का स्वार्थ समाप्त होता हैं, वहीं मनुष्यता प्रारम्भ होती है।
***********
7) जीवन एक नाटक हैं, यदि हम इसके कथानक को समझ ले तो सदैव प्रसन्न रह सकते है।
***********
8) जीवन बहुमूल्य हैं, उसे निरर्थक प्रयोजनों के लिये खर्च मत करो।
***********
9) जीवन बहुत तथ्य जानने से नहीं, बल्कि सत्य की एक छोटी सी अनुभूतिसे ही बदल जाता है।
***********
10) जीवन की मंजिल पर रो-रो कर चलना पौरुष का अपमान है।
***********
11) जीवन की हार और जीत को भी खेल समझ कर खेले।
***********
12) जीवन की सबसे बडी सफलता सद्बुद्धि को प्राप्त करना है।
***********
13) जीवन की सभी आवश्यकताओं के लिये परमात्मा पर्याप्त है।
***********
14) जीवन का सच्चा सदुपयोग ही जीवन का महामन्त्र है।
***********
15) जीवन को नियम के अधीन कर देना आलस्य पर विजय पाना है।
***********
16) जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं , एक वे जो सोचते हैं, पर करते नहीं। दूसरे वे जो करते हैं पर सोचते नहीं।
***********
17) जीवन में जागरुकता पैदा करना तनाव का पहला और अमूल्य वरदान है।
***********
18) जीवन में नींद न हो तो मनुष्य रोता-रोता मर जाए। मनुष्य के सोने से उसकी पीड़ा भी कुछ देर को सो जाती है।
***********
19) जीवन कितना ही बड़ा हो, पर वह समय की बरबादी से बहुत छोटा रह जाता है।
***********
20) जीवन संवेदना का पर्याय हैं। संवेदना के अंकुरण, प्रस्फुटन एवं अभिवर्द्धन के अनुरुप ही इसका विकास होता है। जीवन विद्या के मर्मज्ञ-नारद।
***********
21) जीवन संगीत संयम के साज पर बजता हैं। संयम अतियों से उबरने एवं मध्यम में ठहरने का नाम है।
***********
22) जीवन वृक्ष केवल प्रसन्न रहने वालों के लिए ही विकसित होता है।
***********
23) जीवन अवसर हैं जिसे गंवा देने पर सब कुछ हाथ से गुम हो जाता है।
***********
24) जीवन अन्त तक लडते रहने, प्रभावशाली युद्ध नीति और विजयी परियोजनाओं से असफलता को सफलता में बदल देने का खेल है। असफल लोग तय करले तो संघर्ष का दूसरा मौका सामने होगा।

2 टिप्‍पणियां:

मनोज गुप्ता ने कहा…

सुरेन्द्र जी पूजनीय गुरु जी कहते थे सकारात्मक विचारों का प्रसार करो. आप निसंदेह ये काम बहुत ही अच्छे ढंग से कर रहे है. पूजनीय गुरु जी का आशीष आपको हमेशा प्राप्त होता रहे. आपके ब्लॉग पर आ कर अच्छा लगा. आपका अभिनन्दन.

मनोज गुप्ता ने कहा…

गड़बड़ हो गई राजेंद्र जी की जगह सुरेन्द्र जी लिख दिया.

LinkWithin

Blog Widget by LinkWithin