सती प्रथा के विरुद्ध मोरचा खड़ा करने वाले एवं विधवा विवाह के प्रचंड समर्थक राजा राममोहन राय को इस दिशा मे लाने वाली एक महत्वपूर्ण घटना है । उनके बड़े भाई की मृत्यु हो गई । परिवार के लोगो ने उनकी भोली स्त्री को आवेश दिला के नशीली चीजें खिला चिता पर बैठा दिया । कोई उनकी चीत्कार न सुन सके, इसलिए जोर-जोर से बाजे बजाने की व्यवस्था कर दी गई । धर्म के नाम पर चलने वाली इस नृशंसता को देख कर , राजाराम मोहन राय का दिल चीत्कार कर उठा । वे भाभी को बचा तो नही सके, पर उनने एक प्रचंड आंदोलन इसके विरुद्ध आरंभ किया । अँगरेजी सरकार ने कानून बनाकर सती प्रथा को रोक दिया । `विधवा विवाह मीमांसा´ नामक एक ग्रंथ उनने सारे पुरातन ग्रंथो का अध्ययन कर लिखा । उन्हे विचारशीलो का समर्थन मिलता चला गया । उनने एक हिंदू कॉलेज की भी स्थापना की । फैलती ईसाइयत से लड़ने मे इस विद्यालय ने बड़ी भूमिका निभाई
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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