एक शिकारी हिरन का पीछा करता हुआ आ रहा था। जान बचाने के लिए हिरन अंगूर की लताओं में छिप गया। शिकारी को गया जानकर उसने अंगूर की सारी बेल चर ली, इस पर शिकारी ने उसे देख लिया और मार दिया। मरते समय हिरन कह रहा था कि जो आश्रय देने वाले के साथ कृतघ्नता करता है, उसकी मेरी जैसी ही दशा होती हैं।
विचार शक्ति इस विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति है | उसी ने मनुष्य के द्वारा इस उबड़-खाबड़ दुनिया को चित्रशाला जैसी सुसज्जित और प्रयोगशाला जैसी सुनियोजित बनाया है | उत्थान-पतन की अधिष्ठात्री भी तो वही है | वस्तुस्तिथि को समझते हुऐ इन दिनों करने योग्य एक ही काम है " जन मानस का परिष्कार " | -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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