रविवार, 3 जुलाई 2011

जागते रहो ! सावधान रहो !

1) इस विश्व में किसी दुःखी मानव के लिये थोडी सी सहायता ढेरों उपदेश से कहीं अच्छी है।
-----------------
2) इस संसार में प्राप्त करने योग्य चीजों को जिन्होने पाया हैं उन्होने तब काम किया जब अन्य लोगो ने आराम किया। जब अन्य लोग निराश होकर हार मान कर बैठ गये तो वे निरन्तर अपने काम में जुटे रहे। ये वे लोग थे जिन्होने परिश्रम और एक उद्धेश्य की अमूल्य आदत को जिया। -ग्रेनविले क्लेजर।
-----------------
3) इच्छा में सरलता और प्रेम में पवित्रता का विकास जितना अधिक होगा, उतनी ही अधिक श्रद्धा बलवान होगी। सरलता द्वारा परमात्मा की भावानुभूति होती हैं और पवित्र प्रेम के माध्यम से उसकी रसानुभूति । श्रद्धा दोनो का ही सम्मिलित स्वरुप हैं, उसमें भावना भी हैं और रस भी।
-----------------
4) इच्छा से दुःख आता हैं, इच्छा से भय आता हैं, जो इच्छाओं से मुक्त हैं वह न दुःख जानता हैं न भय।
-----------------
5) इन्सान को सद् इन्सान केवल विचारों के माध्यम से बनाया जा सकता है।
-----------------
6) इन्सानी पुरुषार्थ एवं भगवान की कृपा मिलकर असंभव को सम्भव बनाती है।
-----------------
7) ईश्वर एक हैं, उसकी इतनी आकृतिया नहीं हो सकती जितनी की भिन्न-भिन्न सम्प्रदायों में गढी गयी हैं। उपयोग मन की एकाग्रता का अभ्यास करने तक ही सीमित रखा जाना चाहिये। प्रतिमा पूजन के पीछे आद्योपान्त प्रतिपादन इतना ही हैं कि दृश्य प्रतीक के माध्यम से अदृश्य-दर्शन और प्रतिपादन को समझने, हृदयंगम करने का प्रयत्न किया जाये।
-----------------
8) ईश्वर साधारण दिखने वाले लोगों को पसन्द करता हैं इसलिये उसने ऐसे लोग अधिक संख्या में बनाये है।
-----------------
9) ईश्वर उनकी मदद करता हैं, जो अपनी मदद आप करता है।
-----------------
10) ईमानदार होने का अर्थ हैं- हजार मनको में अलग चमकने वाला हीरा।
-----------------
11) ईमानदारी बरगद के पेड के समान हैं, जो देर से बढती हैं, किन्तु चिरस्थायी रहती है।
-----------------
12) ईमानदारी से चालाकी भी मात खा जाती है।
-----------------
13) ईसा का एक प्रेमपूर्ण वचन:- भयभीत न हो, निराश न हो, क्योंकि मैं तुम्हारा भगवान, तुम्हारा ईश्वर सदा तुम्हारे साथ हूँ। जहाँ-जहाँ भी तुम जाओगे, मैं तुम्हारे साथ रहूँगा।
-----------------
14) ईश्वर की सृष्टि को श्रेष्ठ, सुन्दर और समुन्नत बनाना ही उसकी आराधना हैं।
-----------------
15) ईश्वर की सर्वव्यापी दृष्टि से कोई नहीं बच सकता है।
-----------------
16) ईश्वर कभी-कभी अपने बच्चों की आँखों को आँसुओं से धोता हैं, ताकि वे उसकी कुदरत और उसके आदेशों को सही पढ सके।
-----------------
17) ईश्वर का अनुग्रह प्राप्त करने का एकमात्र उपाय हैं - साधना।
-----------------
18) ईश्वर को मनुष्य के दुगुर्णो में सबसे अप्रिय “ अहंकार ” है।
-----------------
19) ईश्वर के घर के लगती देर, किन्तु नहीं होता अन्धेर।
-----------------
20) ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण भक्त को भी उसी जैसा बना देता है।
-----------------
21) ईश्वर विष्वास का फलितार्थ हैं-आत्मविश्वास और सदाशयता के सत्परिणामों पर भरोसा।
-----------------
22) ईश्वर भक्त अभक्त का बहीखाता नहीं रखता उसके लिये हर ईमानदार अपना और हर बेईमान शैतान की बिरादरी का है।
-----------------
23) ईश्वर भक्त आस्तिक को लोकसेवी होना ही चाहिये। जिसके हृदय में अध्यात्म की करुणा जगेगी, वह सेवा धर्म अपनाये बिना रह ही न सकेगा।
-----------------
24) ईश्वर से पाना और प्राणियों में बाँटना, इसी में सच्ची सम्पन्नता, समर्थता और जीवन की सच्ची सार्थकता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

LinkWithin

Blog Widget by LinkWithin