रविवार, 3 जुलाई 2011

सुख बाँटे, दुःख बॅटाये।

1) ईश्वर तो हैं केवल एक, लेकिन उसके नाम अनेक।
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2) ईश्वर ने इन्सान बनाया, ऊँच नीच किसने उपजाया।
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3) ईश्वर ने जिन्हे बहुत दिया हैं, उन्हे भी देने की कला सीखनी चाहिये।
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4) ईश्वर कर्म नहीं करवाता, प्रत्युत फल भुगवाता हैं। मनुष्य कर्म स्वतन्त्रता से करता है, फल परतन्त्रता से भोगता है।
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5) बढते जिससे मनोविकार, ऐसी कला नरक का द्वार।
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6) बलिदान वही कर सकता हैं, जो शुद्ध हैं, निर्भय हैं, योग्य हैं।
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7) बह गई सो गंगा, रह गया सो तीर्थ।
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8) बहुत सरल उपदेश सुनाना, किन्तु कठिन करके दिखलाना।
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9) बहुत से व्यक्ति कम योग्यता रहते हुए भी बहुत बड़ा काम कर डालते हैं और बड़ी सफलता प्राप्त करते हैं। इसका एकमात्र कारण होता हैं-संतुलित मस्तिष्क, निश्चित कार्यक्रम और व्यवस्थित क्रिया पद्धति।
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10) बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुध लेई, जो बन आवे सहज में, ताहि में चित देई।।
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11) बीता हुआ समय फिर कभी लौटकर नही आता है।
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12) बीज मन्त्र:- सम्मान दे, सलाह लें। सुख बाँटे, दुःख बॅटाये।
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13) बोध की अवस्था में जिन्दगी बोझ के बजाय शिक्षालय बन जाती हैं। हर कहीं से ज्ञान का अंकुरण होता है। जो बोध में जीता है, वह सुख के क्षणों का सदुपयोग करता हैं। उसे दुःख के क्षणों का भी महत्वपूर्ण उपयोग करना आता हैं। सुख के क्षणों को वह योग बना लेता है तो दुःख के क्षण उसके लिए तप बन जाते है। प्रत्येक अवस्था में उसे जीवन की सार्थकता की समझ होती है।
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14) बोलने से अहंकार, सुनने से ज्ञान, मनन से सृजन और सदाचार से प्रसिद्धि आचरण में समाहित होती है।
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15) बालक प्रकृति की अनमोल देन हैं, सुन्दरतम कृति हैं, सबसे निर्दोष वस्तु हैं। बालक मनोविज्ञान का मूल हैं, शिक्षक की प्रयोगशाला है। बालक मानव-जगत् का निर्माता हैं। बालक के विकास पर दुनिया का विकास निर्भर हैं। बालक की सेवा ही विकास की सेवा है।
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16) बड़प्पन शालीनता से मिलता है।
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17) बड़ा वही हैं जो अपने को सबसे छोटा मानता है।
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18) बडप्पन की कसौटी एक ही हैं कि वह छोटो के साथ कैसा व्यवहार करता है।
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19) बडप्पन शालीनता से मिलता हैं। पद, प्रतिष्ठा तो उसे चमकाते भर है।
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20) बडप्पन अमीरी में नहीं, ईमानदारी और सज्जनता में निहित है।
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21) बडा आदमी बनने की महत्वाकांक्षा छोडनी चाहिये और महान् बनने की राह पकडनी चाहिये।
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22) बचपनः- यह शब्द हमारे सामने नन्हे-मुन्नों की एक ऐसी तस्वीर खिंचता हैं, जिनके हृदय में निर्मलता, आँखों में कुछ भी कर गुजरने का विश्वास और क्रिया-कलापो में कुछ शरारत तो कुछ बडों के लिए भी अनुकरणीय करतब।
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23) बच्चों को पहला पाठ आज्ञापालन का सिखाना चाहिये।
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24) बच्चे वे चमकते वे तारे हैं जो भगवान के हाथ से छूटकर धरती पर आये हैं।

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