बुधवार, 15 जून 2011

अखण्ड ज्योति अगस्त 1984

1. आनन्दानुभूति के अपने-अपने रूप

2. भोग लिप्सा की दुःखदायी परिणति

3. आध्यात्मिक विकासवाद एवं जीवन्मुक्ति का तत्वदर्शन

4. मनुष्य कितना स्वतन्त्र ? कितना परतन्त्र ?

5. इन्द्रियों के गुलाम तो न बनें

6. ‘‘एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति’’

7. अपरिग्रह की गरिमा

8. आध्यात्मिक प्रगति के चार प्रमुख आधार स्तम्भ

9. बड़प्पन का व्यावहारिक मापदण्ड

10. मन को सुधार-सधाया जा सकता हैं

11. पुरूषार्थ देव की अभ्यर्थना-आराधना

12. जीवन सत्ता की आधारभूत सत्प्रवृत्तियाँ

13. जीवन रूपी चलती तसवीर की चैखट का नाम मृत्यु

14. हँसिये अथवा जी खोलकर रोइये

15. नियमित जीवन की प्रकृति प्रेरणा

16. आहार निर्धारण में यह कैसी नासमझी ?

17. मानवी पराक्रम-सम्भावनायें उलटने में समर्थ

18. मानवी मन एक जादूगर, विचित्र चित्रकार

19. दान बड़ा या ज्ञान

20. काया का अद्भुत एवं अविज्ञात चेतन संस्कार

21. भौतिकी का सूक्ष्मीकरण-चेतन सत्ता से एकीकरण

22. दर्शन मात्र से वरदान मिलने की ललक

23. मरणोत्तर जीवन का सूक्ष्म शरीर

24. यज्ञाग्नि एवं शब्द शक्ति का सूक्ष्मीकरण

25. सूक्ष्मीकरण साधना में सहभागी बनने हेतु तीन अनिवार्य चरण

26. मौन साधना के सिद्ध साधक-महर्षि रमण

27. नवरात्रि में शान्तिकुंज में साधना करे

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