किसी को हमारा स्मारक बनाना हो तो वह वृक्ष लगाकर बना सकता है । वृक्ष जैसा उदार, सहिष्णु और शांत जीवन जीने की शिक्षा हमने पाई। उन्हीं जैसा जीवनक्रम लोग अपना सकें तो बहुत हैं। हमारी प्रवृति, जीवन विद्या और मनोभूमि का परिचय वृक्षों से अधिक और कोई नहीं दे सकता। अतएव वे ही हमारे स्मारक हो सकते हैं।
-पं. श्री राम शर्मा आचार्य
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