शुक्रवार, 6 मई 2011

सुनहरे वाक्य

1) षोडष संस्कार हैं- गर्भाधान, पुंसवन, सीमन्तोनयन, जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राषन, चूडाकरण, कर्णभेद, विद्यारम्भ, उपनयन, वेदारम्भ, केषान्त, समावर्तन, विवाह, अन्त्येष्टि।
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2) षटकर्म:- स्नान, आतिथ्य, यज्ञ, संध्या, पंच देवता की पूजा, तप।
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3) रुप सिर्फ आँखों तक पहुँचता हैं और गुण सीधे आत्मा तक।
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4)  का उच्चारण शक्तिवर्धक हैं। जब कभी आप उदास होने लगो तब  का उच्चारण करो।
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5) ’स्त्री‘ पुरुष की सहचरी हैं। उसकी मानसिक शक्तिया पुरुष से कहीं भी कम नहीं हैं, उसे पुरुष के हर काम में हाथ बॅटाने का हक है और आजादी का उसे उतना ही अधिकार हैं, जितना पुरुष को।
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6) एक क्षण तक प्रज्वलित रहना अच्छा है, किन्तु सुदीर्घ काल तक धुँआ छोडते रहना अच्छा नही है।
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7) एक बडा वृक्ष अपने जीवनकाल में लगभग पन्द्रह लाख रुपये का उपहार देता है।
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8) एक मूर्ख ताकत को सद्गुण, दृढता को सच्चाई, बदले को इन्साफ और इन्सानियत को कमजोरी समझता है।
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9) एक शिक्षित मूर्ख एक अज्ञानी से कहीं अधिक मूर्ख होता है।
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10) एक हाथ से प्रणाम कभी नहीं करना चाहिये।
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11) एक ज्ञान ज्ञान, बहुत ज्ञान अज्ञान।
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12) एक समय में एक कार्य, भली भाँति हो सम्पन्न। उत्तम नियम सदा से, विद्वानो का सत्य कथन।।
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13) एक समझदार आदमी तब बोलता हैं, जब दूसरे अपने शब्दों को इस्तेमाल कर चुके होते है।
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14) एक साधना जिसे करने के लिए हम आपको अनुरोधपूर्वक प्रेरित करते हैं-वह हैं दिन-रात में से कोई भी पन्द्रह मिनट का समय निकाले और एकान्त में शान्तिपूर्वक सोचे कि वे क्या हैं ? वे सोचे कि क्या वे उस कर्तव्य को पूरा कर रहे हैं, जो मनुष्य होने के नाते उन्हे सौपा गया था। मन से कहिए कि वह निर्भीक सत्यवक्ता की तरह आपके अवगुण साफ-साफ बतावें। -युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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15) एक दुःख को भोग होता हैं, एक दुःख का प्रभाव होता हैं। दुःखी होना दुःख का भोग हैं। दुःखी न होने से दुःख का प्रभाव पडता हैं। प्रभाव पडने से मनुष्य सन्त हो जाता है।
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16) एक दूसरे को भगवान् की याद कराते रहें, भगवान् की चर्चा करते रहे। दीपक तले अँधेरा रहता हैं, पर दो दीपक आमने-सामने रख दे तो अँधेरा नहीं रहता।
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17) एकान्त में मन को सदा यही समझाना चाहिये कि परमात्मा के सिवा किसी का चिन्तन न करो, क्योंकि व्यर्थ चिन्तन से बहुत हानि है।
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18) एकाग्रता से ही विजय प्राप्त होती है।
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19) एकाग्रता और दिलचस्पी से बढ़कर जादुई शक्ति और कुछ नही।
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20) एकता से हमारा अस्तित्व कायम रहता हैं, विभाजन से हमारा पतन होता है।
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21) ऐ जिन्दगी ! दुःखी लोगो के लिये तू एक युग हैं, सुखी लोगो के लिये एक क्षण।
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22) ऐसा न हो कि पीडा देखे पर रोये नहीं, पतन देखे और सो जाये।
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23) ऐसे ईश्वर को खोज निकाले। जो चरित्र बन कर साथ-साथ रह सके।
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24) ऐश्वर्य चाहने वाले पुरुष को इस लोक में निद्रा (सोना), तन्द्रा (आलस्य से युक्त रहना), डर, क्रोध, आलस्य और कार्य में देर लगाना, इन छः दोषों को त्याग देना चाहिये।

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