रविवार, 12 सितंबर 2010

क्या करें कामयाबी के लिए - श्री चन्द्र प्रभ जी - 2

1. हर सुबह की शुरूआत प्रसन्न मन के साथ कीजिये। आपका पूरा दिन उत्साह और ऊर्जा से भरा रहेगा। 
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2. संकल्प लीजिये-जो गलती आपसे कल हुई, उसे आप आज नहीं दोहरायेंगे। 

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3. धीरज रखिये। आपका सिर माचिस की तीली नहीं हैं कि छोटी सी रगड़ लगते ही सुलग उठे। 

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4. सबसे अच्छी सलाह वही हैं, जो आपको आपकी अन्तरात्मा से मिले।

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5. एक धर्म ऐसा कीजिये कि किसी रोते हुए अनाथ बच्चे के चेहरे पर मुस्कान फूल खिलाइये। 

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6. अपने व्यवहार को जादू की छड़ी बनाइये कि जहा भी चले, अपना करिश्मा दिखाये। 

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7. दूसरे के गुस्से को अपने पर मत लादिये, नही तो उसकी चिन्गारी आपकी शान्ति को आग लगा देगी। 

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8. बुढ़ापे की स्वस्थता के लिए व्यायाम कीजिये, सुरक्षा के लिए धन की बचत कीजिये और मधुरता के लिए पोते-पोतियों से प्यार कीजिये। 

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9. दूसरों के दुःख-दर्द को देखकर अगर आपके आसू छलक आये, तो आप उन्हें अपने अन्र्तमन का मोती समझिये। 

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10. गिरने को गिरना न समझे, इस बहाने ही सही, आप सम्हलना सीख पाये। 

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11. अपने सिरहाने दो अच्छी पुस्तकें रखिये और सोने से पहले दो पन्ने ही सही पढ़ने की आदत अवश्य डालिये।

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12. झगड़े की आग अभी बुझ जायेगी, बशर्ते आप उसे हवा ना दे। 

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13. याद रखिये, कछुआ अपनी रफ्तार के कारण नहीं जीतता, वरन् लक्ष्य के प्रति एकनिष्ठता ही उसकी सफलता का राज हैं। 

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14. सफलता के लिए इच्छा शक्ति चाहिये और इच्छा शक्ति के लिए उत्साह। उत्साह से किया गया हर कार्य सफलता के शिखर की ओर ले जाता हैं। 

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15. किसी शान्त और विनम्र व्यक्ति से अपनी तुलना करके देखिये, आपको लगेगा कि आपका घमण्ड निश्चय ही त्यागने जैसा हैं। 

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16. उस पाप से बचिये, जिसके चलते आप एक अनजाने भय से घिरे रहते हैं।

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17. प्रकृति के आप जितना करीब रहेंगे, उतने ही स्वस्थ और सुखी रह सकेंगे। 

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18. बच्चों से यह कहलवाने के लिए ही ‘पापा, आप कितने अच्छे हैं’, आप भी कहें, ‘बेटा, तुम बहुत अच्छे हो।’

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19. खाकर नहीं, खिलाकर खुश होइये। आटा डिब्बे में रखने के लिए नहीं, उपयोग करने के लिए होता हैं। 

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20. स्वयं को सदा सकारात्मक ढंग से सोचने का टीका लगाइये, आप अनेक संघर्षो और मनोविकारों से बचे रहेंगे। 

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21. यदि आप बीमार हैं, तो आराम कीजिये और यदि स्वस्थ है, तो आराम को हराम समझिये। 

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22. वृद्ध, विकलांग और अनाथ इन तीनों का सहयोग कीजिये। ये आपकी सेवा के प्रथम अधिकारी हैं। 

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23. अपने पास इतना सत्य तो अवश्य रखिये कि आपको कोई दो मुहा इन्सान न कहें। 

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24. झूठ तभी बोलिये, जब सच खतरे में पड़ा हो। 

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