‘‘ मै धरती का भाग्य-भविष्य बदलने आया हूँ।
मै आना नही चाहता था, पर मुझे धकेला गया है। और विशिष्ट कार्यो के लिए भेजा गया है ।
लोग मुझे मनोकामना पूरी करने की मशीन मानते है ।
मै उनकी थोड़ी मानकर उन्हें बदलने का प्रयास करता हूँ ।
जो बदल जाते हैं, वे ही मेरे सैनिक-युग परिर्वतन के अग्रदूत बन जाते है ।
-युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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